घरवाले कहते हैं ऐसा मत करो, दोस्त बोलते हैं वैसा मत करो और इनके ऐसा कहने की वजह है कि ‘लोग क्या कहेंगे या क्या सोचेंगे’? कई बार हम करना कुछ चाहते हैं, लेकिन कर कुछ बैठते हैं सिर्फ़ ये सोच कर कि आखिर लोग क्या कहेंगे? छोटे कपड़े मत पहनों, ड्रिंक करती हुई फ़ोटो सोशल मीडिया पर मत डालो, क्योंकि ऐसी तमाम चीज़ें करने से पहले हमारे सामने एक ही सवाल रखा जाता, यार रहने दे न पता नहीं लोग क्या कहेंगे. अब तक लोगों के बारे में तो बहुत सोच लिया, लेकिन क्या कभी ख़ुद से ये पूछा है कि जिन लोगों के बारे में हम जितना सोचते हैं, उन्हें हमारी कोई फ़िक्र है भी या नहीं. आखिर कब तक लोगों के बारे में सोच कर हम अपनी इच्छाओं का दम घोटते रहेंगे.
आपने कभी सोचा है कि अगर आप दूसरों की फ़िक्र करना छोड़ दें, तो आपकी ज़िंदगी में क्या-क्या बदलाव आ सकते हैं. अगर अब तक नहीं सोचा, तो अब ज़रा अच्छे बदलावों पर एक नज़र डाल लो…
1. आप बिना किसी की टेंशन के काम करेंगे.
2. कोई भी फ़ैसला लेने से पहले ज़्यादा सोचना नहीं पड़ेगा.
3. पहले से ज़्यादा आत्मनिर्भर हो जाएंगे.
4. ख़ुद की ज़िंदगी ज़्यादा बेहतर तरीके से जीएंगे.
5. लाइफ़ को अपनी शर्तों पर जी पाएंगे.
6. क्या सही और क्या ग़लत, इसके लिए ज़िम्मेदार ख़ुद होंगे.
7. आपको क्या करना चाहिए, इसके लिए कोई आपको रोकने वाला नहीं होगा.
8. आपकी इजाज़त के बिना कोई भी इंसान आपको बुरा फ़ील नहीं करा सकता.
9. आपको अपनी शक्तियों का अंदाज़ा हो जाएगा.
10. ख़ुद को Explore करने का मौका मिलेगा.
ज़िंदगी एक बार मिलती है यार, इसीलिए इसे दूसरों की फ़िक्र में बर्बाद मत करो. आपको इसे जैसे जीना है वैसे जीओ, लोगों का क्या है उनका काम है कहना, कहने दो. खुल कर ज़िन्दगी जियो क्योंकि ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा!