अगर इंसान के जीने की इच्छाशक्ति मज़बूत हो तो दुनिया की बड़ी से बड़ी मुसीबत भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाती है. अमेरिकी वायु सेना के कैप्टन माइकल मोयल्स भी एक ऐसे ही शख़्स हैं, जो न जाने कितनी बार मौत को मात दे चुके हैं.  

दरअसल, माइकल मोयल्स जब 27 वर्ष के थे, उस वक़्त एक बास्केटबॉल मैच के दौरान उनके सिर पर चोट लग गई थी. ये चोट इतनी गंभीर थी कि इसने उनकी दुनिया ही बदलकर रख दी. 

अमेरिकी वायु सेना में कैप्टन के पद पर तैनात माइकल सेंट लुइस शहर की एक लीग के लिए बास्केटबॉल भी खेला करते थे. चैंपियन ख़िताब का बचाव करते हुए उस मैच के दौरान माइकल एक अन्य खिलाड़ी से सिर के बल टकरा गए थे. चोट इतनी गंभीर थी कि माइकल 30 सेकंड के लिए मैदान पर ही बेहोश रहे. इसके बाद उन्हें जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचाया गया.  

हालांकि, सीटी स्कैन में कोई गंभीर चोट नहीं थी और डॉक्टरों ने उन्हें अगली शाम घर लौटने की अनुमति दे दी. चोट तो गंभीर नहीं थी, लेकिन माइकल का दाहिना हाथ अस्थायी रूप से लकवा ग्रस्त हो गया. एक साल तक इलाज़ चलने के बाद डॉक्टर्स ने एहतियात के तौर पर माइकल का MRI स्कैन कराने का फ़ैसला किया.  

MRI स्कैन की प्रक्रिया के लिए सभी डॉक्टर्स स्क्रीन की ओर टकटकी लगाकर देख रहे थे. माइकल को भी यही डर सता रहा था कि कहीं चोट गंभीर न निकले. थोड़ी देर निरीक्षण करने के बाद डॉक्टरों ने कहा माइकल हमें कुछ गड़बड़ नज़र आ रहा है. डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें Astrocytoma के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इसका मतलब ये कि माइकल को ब्रेन कैंसर है.  

ब्रेन कैंसर जैसे बड़ी बीमारी का पता चलने पर हर किसी का परेशान होना लाज़मी है, लेकिन माइकल ने इससे लड़ने की ठान ली थी. इसी बीमारी के दौरान माइकल ने अपनी प्रेमिका एंजी को प्रपोज़ किया. एंजी भी माइकल के प्रस्ताव को ना नहीं कह पाई और छह महीने बाद दोनों ने शादी कर ली.  

28 अप्रैल, 2001 को माइकल और एंजी की शादी की पहली सालगिरह थी. इसी दिन माइकल अपनी पहली सर्जरी से भी गुज़रे थे. डॉक्टर्स ने उस दिन उनके माथे के दाहिने किनारे से 2.8 सेमी का ट्यूमर निकाला था. इस प्रकिया के बाद माइकल को रिकवर होने में करीब 6 महीने का वक़्त लगा.  

करीब 4 साल के बाद 2005 में एक बार फिर से उनका चेक-अप किया गया, तो पता चला कि कैंसर एक बार फिर से वापस आ गया है. जब ट्यूमर बढ़ने लगा तो डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी. कीमोथेरेपी वो मेडिकल टर्म है जो अच्छी से अच्छी इच्छाशक्ति वाले मरीज़ के दिल में भी भय पैदा कर देता है. बावजूद इसके माइकल ख़ुशी-ख़ुशी इस प्रकिया से भी गुज़ारने को तैयार हो गए.  

कीमोथेरेपी के दौरान माइकल ने नियमित रूप से व्यायाम करना शुरू किया. ख़ासतौर पर दौड़ने से बेहतर महसूस होने लगा तो उन्होंने मैराथन में दौड़ने का फ़ैसला किया. इस बीच माइकल अगले 10 महीनों तक कीमोथेरेपी से गुज़रते रहे और दो अन्य मैराथन के लिए भी दौड़ लगाई और इस दौरान वो एक बेटी के पिता भी बने. 

हालांकि, इन सारी कोशिशों के बावजूद माइकल के स्वास्थ्य में सुधार देखने को नहीं मिला और उन्हें दूसरी सर्जरी के लिए जाना पड़ा. इसके बाद का रास्ता माइकल के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा. उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उनके सिर का एक हिस्सा हटा दिया गया. 

इन तमाम मुसीबतों के बावजूद माइकल ने वो हर एक काम किया जो एक स्वस्थ्य इंसान करता है. हर दिन दर्द में रहने के बावजूद माइकल ने अपने परिवार के साथ पूरा वक़्त बिताया. इस दौरान उन्होंने दोस्तों के साथ घूमना-फिरना और खेलना भी जारी रखा. इस मुसीबत में भी माइकल ने अपने हर एक सपने को तसल्ली से जिया.   

साल 2008 में माइकल ने अपने बहनोई क्लिंट जानसन के साथ मिलकर ‘टीम माइकल मोयल्स’ की शुरुआत की. साल 2012 तक रनिंग राइज़ के माध्यम से उन्होंने चैरिटी के लिए लगभग $ 100,000 जुटाए. इस दौरान माइकल ने कई मोटिवेशनल भाषण, साइलेंट ऑक्शन और कई अन्य तरह के सोशल वर्क भी जारी रखे.  

एक समय तो ऐसा भी था जब डॉक्टरों ने यहां तक कह दिया था कि माइकल के पास सिर्फ़ 7 से 8 साल ही बाकी हैं, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और एंजी के प्यार के कारण माइकल पिछले 20 सालों से मौत को मात देते आ रहे हैं.

दरअसल, माइकल की इस प्रेरणादायक कहानी को उनके भतीजे सॉरेन जेनसन ने Reddit के साथ साझा की है. इस दौरान कुछ लोगों ने माइकल की अटूट इच्छाशक्ति को प्रेरणादायक बताया, तो कुछ ने उनकी ज़िन्दगी से हर किसी को सीख लेने की सलाह दी.