आप एक सभ्य समाज में रहते हैं, तो आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि आप भी उस समाज के प्रति ज़िम्मेदार बनें. क्योंकि हमारी एक छोटी सी कोशिश से कई ज़रूरतमंदों की ज़िंदगी बदल सकती है. किसी की मदद करना और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाना हर इंसान का कर्तव्य होता है. ये किसी को सिखाया नहीं जा सकता है. किसी की मदद करने के लिए अमीर होना ज़रूरी नहीं है. इसके लिए आपका ज़मीर अमीर होना चाहिए.
कुछ ऐसा ही नेक काम कर्नाटक का एक ऑटो ड्राइवर मुन्नेसा मानागुली भी कर रहे हैं. दरअसल, मुन्नेसा उनके ऑटो में सवार गर्भवती महिलाओं, ज़रूरतमंद दिव्यांगों और सैनिकों से कोई पैसा नहीं लेते हैं. 42 साल के मुन्नेसा मानागुल्ली बीए पास हैं और पिछले 11 साल से किराये का ऑटो चला रहे हैं. हर दिन मालिक को 250 रुपये किराया देने के लिए वो देर रात तक काम करते हैं.
मुन्नेसा मानागुली का लोगों की मदद करने के पीछे भी एक दुखद घटना है. घटना साल 1992 की है जब उनके नारायणपुरा गांव में रहते थे और पास के गांव बासवानाबेजवाड़ी तालुक में एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई गाड़ी नहीं थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गयी थी. उस दिन के बाद मुन्नेसा ने जीवन यापन के लिए ऑटोरिक्शा चलना शुरू किया और बाद में लोगों की मदद करने का फ़ैसला किया.
द हिन्दू से बातचीत में मुन्नेसा ने कहा कि ‘मैं जिस भी ज़रूरतमंद सवारी को उसकी मंज़िल तक छोड़ता हूं, उसकी जानकारी अपनी डायरी में नोट कर लेता हूं. कई लोगों के पास मेरा फ़ोन नंबर है. वो मुझे जिस भी टाइम बुलाते हैं मैं मदद के लिए पहुंच जाता हूं. मैं उन्हें हॉस्पिटल से घर, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और उनकी मंज़िल तक छोड़ने का काम करता हूं.’
मुन्नेसा ने साल 2015 से लोगों को मुफ़्त सेवा प्रदान करना शुरू किया था और वो अब तक 2000 से अधिक लोगों की मदद कर चुके हैं. मुन्नेसा इसके लिए एक लॉग बुक भी रखते हैं ताकि ये पता चल सके कि उन्होंने अब तक कितने लोगों की मदद की है.
RT
Meet Mr Munnesa Managuli A 42-year old BA graduate From Karnataka,He faced unemployment After Studies so he took up driving an AutoHe Pays 250rs Daily Fare Of Auto Still provide free rides to pregnant women & women who have given birth recently, physically-disabled & soldiers pic.twitter.com/50XkqD7I8o— ☬ SINGH ਸਿੰਘ ☬ 🇮🇳 (@HatindersinghR) June 15, 2018
मुन्नेसा जो कर रहे हैं, वो हर इंसान को करना चाहिए, क्योंकि किसी ज़रूरतमंद की मदद करना इंसानियत का पहला फ़र्ज़ है.