आमतौर पर देश की सड़कों पर दौड़ रहे ऑटोरिक्शा पर शायरी लिखी होती है पर तिरुवनंतपुरम के एक ऑटो पर लाल अक्षरों में ये लिखा हुआ है,


‘Cancer Care For Life’  

मतलब ‘उम्रभर कैंसर मरीज़ों की सेवा’ 

ये ऑटोरिक्शा है विनोद कुमार के.वी का. विनोद का ऑटो रोज़ सुबह 9 से दोपहर के 1 बजे तक Regional Cancer Centre के आस-पास रहता है. विनोद सेंटर से निकलने वाले हर मरीज़ और उनके परिवारवालों को मुफ़्त में लाते ले जाते हैं. पिछले 7 सालों से विनोद ये नेक़ काम कर रहे हैं. 

मैं उनसे कुछ नहीं पूछता पर RCC के पास उतरकर मैं उनसे पूछता हूं कि क्या कोई मरीज़ है? अगर वो हां कहते हैं तो मैं पैसे नहीं लेता.

-विनोद कुमार

दूसरे Heart Attack के बाद विनोद ICU में भर्ती थे और तभी उन्होंने ये निर्णय लिया.  

मैं Electronic Gadgets के Technician के रूप में काम करता और अक़सर काम के सिलसिले में RCC आता-जाता था. मैं मरीज़ों को Tubes लिए सड़क पर चलते देखता था. जब मैंने उनसे गाड़ी न लेने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वो गाड़ी का ख़र्चा नहीं उठा सकते. एक दिन मैं प्रह्लादन से मिला जो मरीज़ों को RCC से 25 किलोमीटर तक मुफ़्त सवारी देता. ICU में भर्ती होने के बाद मैंने भी वैसा ही करने की सोची.

-विनोद कुमार

 विनोद ने 1 जनवरी 2012 को सेवा देना शुरू किया. पहले वो सिर्फ़ मुफ़्त में ऑटो-सेवा देते थे पर वहां रहते-रहते उन्हें कई अन्य समस्याओं का पता चला.  

RCC समंदर है. जो लोग यहां आते हैं मैं बस उन्हें सही रास्ता दिखाता हूूं.

-विनोद कुमार

विनोद ने रक्तदान की समस्या का भी हल ढूंढ निकाला. उन्होंने ऐसे लोगों का नेटवर्क तैयार किया जो रक्तदान करने के इच्छुक हैं. जब भी किसी को ख़ून की ज़रूरत होती है वो ग्रुप में ये संदेश देते हैं और कोई न कोई डोनर मिल जाता है. 

पहले मैं सिर्फ़ 1 बजे तक वहां रहता था पर अब ज़्यादातर वक़्त वहीं रहता हूं. मेरी पत्नी शैलजा और 5वीं में पढ़ रही बेटी अक्षया कृष्णा पहले शिकायत करते थे कि मैं 1 घंटा भी उन्हें नहीं देता पर अब वे भी मेरा साथ देने लगे हैं.

-विनोद कुमार

विनोद को उनकी सेवा के लिए कई अवॉर्ड्स भी मिले हैं.


विनोद उन सभी लोगों को याद नहीं रखते जिनकी उन्होंने सहायता की है वो सिर्फ़ अपने आख़िरी केस को याद रखते हैं. 

विनोद को अपनी आय की चिंता नहीं है.  

मुझे रात में रिक्शा चलाकर और Technician का काम करके पैसे मिल जाते हैं.

-विनोद कुमार

सच है, सेवा करने के लिए सिर्फ़ बड़ा बैंक बैलेंस नहीं, बड़ा दिल भी चाहिए.