आम लोगों द्वारा प्रकृति संरक्षण की अनेक कहानियां हमने सुनी हैं. ‘वृक्ष माता’ के नाम से मशहूर 106 वर्ष की सालूमरदा थीमक्का के काम से हम सभी परिचित हैं. उन्होंने कर्नाटक के Hulikal और Kudoor गांव के बीच में हाइवे के पास चार किलोमीटर के क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाए हैं. 

असम के 56 वर्षीय ‘Forest Man’, जादव पायेंग ने 30 वर्षों तक ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पेड़ लगा कर उनकी सुररक्षा की और अब वहां 1200 एकड़ का जंगल बन गया है. 

देवकी अम्मा ने अपने घर के पीछे 40 साल तक पेड़ लगाकर जंगल तैयार कर दिया. 

देश के कोने-कोने में ऐसे पर्यावरणविदों के कई उदाहरण हैं. अब मिलिए केरल के राधाकृष्णन नायर से, जिन्होंने राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और महाराष्ट्र में 6 लाख से ज़्यादा पेड़ लगाए हैं.


गुजरात में नायर की 3 गारमेंट्स कंपनी हैं. The News Minute से बातचीत में नायर ने बताया,  

मैंने 12वीं तक की पढ़ाई की पर 12वीं में फ़ेल हो गया. 70 के दशक के कई लोगों की तरह मैं नौकरी की तलाश में मुंबई चला गया.

-आर.के.नायर

नायर ने मुंबई में सबसे पहले एक मेडिकल स्टोर पर सेल्समैन की नौकरी की, उसके बाद एक होटल में और फिर वो एक गारमेंट्स शॉप में सुपरवाइज़र बन गए. उस गारमेंट्स शॉप में उन्हें फ़ैक्ट्री मैनेजर बना दिया गया और फिर वो गुजरात के उमरगांव चले गए.


नायर के शब्दों में,  

ये गांव वालसड ज़िले में है. फ़िल्म और टीवी सीरियल की शूटिंग के लिए ये जगह मशहूर है. यहां कई टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ भी हैं. मैंने यहां 10 साल तक बतौर फ़ैक्ट्री मैनेजर काम किया. 

-आर.के.नायर

इसी दौरान नायर आदिवासी छात्रों की पढ़ाई में मदद भी करने लगे. नौकरी और सामाजिक कार्य साथ में मैनेज करना मुश्किल हो रहा था. नायर ने अपनी नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़कर नायर ने अपनी कंपनी ‘Shree Paurnika Exports’ की शुरुआत की. नायर के अनुसार, 

अब 3 फ़ैक्ट्रीज़ हैं, जिनमें 450 कर्मचारी रेडिमेड शर्ट्स बनाने का काम करते हैं. 

-आर.के.नायर

6 साल पहले पेड़ों के प्रति नायर का प्रेम जागा, जब एक रोड प्रोजेक्ट के दौरान उन्होंंने 175 पेड़ कटते हुए और परिंदों के बच्चो को गिरते हुए देखा. नायर के शब्दों में, 

मुझे काफ़ी दुख हुआ. मुझे कुछ करना था. मैंने एक पार्टनर से ज़मीन ख़रीदी और जापानी तकनीक Akira Miyawaki के ज़रिए 1500 पेड़ लगाए.

-आर.के.नायर

पहला जंगल उमरगांव में 1 एकड़ में लगाया गया. जल्दी-जल्दी उगते पेड़ों को देखकर नायर को महाराष्ट्र के एक कैमिकल डंपिंग यार्ड की सूरत बदलने के लिए कॉल आया. 2016 में उन्होंने 38 तरह के 32000 पेड़ लगाए, जो अब एक फलता-फूलता जंगल बन गया है.


जैसे-जैसे नायर के काम की बात फैलने लगी, उन्हें अलग-अलग जगह जंगल उगाने के लिए बुलाया जाने लगा. छत्तीसगढ़ में उन्होंने 1 लाख 3 हज़ार पेड़ लगाए. आंध्र प्रदेश में भी नायर ने एक डंपिंग यार्ड की जगह जंगल उगा दिया. 

नायर को उनके काम के लिए महाराष्ट्र सरकार ने वसंधुरा अवॉर्ड से नवाज़ा है.   

नायर के शब्दों में, 

अब तक 7 राज्यों में 6 लाख से ज़्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं. अब आप पूछेंगे कि इन राज्यों में केरल क्यों नहीं है? मुझे मेरी मिट्टी से बहुत लगाव है पर किसी ने मुझे वहां नहीं बुलाया है. कुछ क्लब्स ने न्यौता दिया पर वो सिर्फ़ अपनी पब्लिसिटी के लिए. जब तक लोग उनके संरक्षण की पूरी ज़िम्मेदारी नहीं लेते. पेड़ों को जंगल बनने तक पानी देना, उनकी देखभाल करनी होता है. 

-आर.के.नायर

अभी नायर पुलवामा शहीदों के नाम पर ‘पुलवामा शहीद वन’ बना रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत 40 हज़ार पेड़ लगाए जा रहे हैं.