कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बीच देश के ग़रीबों के सामने भूखे पेट सोना सबसे बड़ी समस्या बन गया है. लॉकडाउन के कारण काम नहीं होने से दिहाड़ी मज़दूर घर पर रहने को मजबूर हैं. ऐसे में इन लोगों के पास न तो पैसा है न ही राशन.
इस बीच कुछ लोग फ़रिश्ते बनकर ग़रीबों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. इन्हीं में से एक सीपीआरएफ़ जवान पदमेश्वर दास भी हैं, जो छुट्टी पर होने के बावजूद ज़रूरतमंद की मदद कर अपने सैनिक होने का फ़र्ज़ निभा रहे हैं.
सीआरपीएफ़ में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात 48 वर्षीय पदमेश्वर दास ने साल 1991 में इंडियन आर्मी ज्वॉइन की थी. पदमेश्वर वर्तमान में दक्षिण कश्मीर के आतंकवादी हिंसा प्रभावित शोपियां ज़िले में तैनात हैं. वो 3 मार्च को छुट्टी पर अपने घर आए थे, जब ड्यूटी ज्वॉइन करने का वक़्त हुआ तो देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया. इस वजह से वो अब तक ड्यूटी ज्वॉइन नहीं कर पाए हैं.
ASI Padmeswar Das of 76 bn @crpfindia @JKZONECRPF @jammusector currently at home in Morigaon (Assam) due to Lockdown has been helping the needy in his village by voluntarily distributing food items to them out from his own savings
— CRPF Madadgaar (@CRPFmadadgaar) April 12, 2020
For any assistance call 14411. pic.twitter.com/xGcIiRJJfy
दरअसल, पदमेश्वर दास ने ‘A Soldier Is Never Off Duty’ वाली कहावत को सच कर दिखाया. पदमेश्वर भले ही छुट्टी पर हैं लेकिन वो ऑफ़ ड्यूटी नहीं हैं. वो इन दिनों असम के मोरीगांव ज़िले से लगभग 76 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव चंगुरी में लॉकडाउन से प्रभावित ग़रीब लोगों की मदद कर रहे हैं.
पदमेश्वर दास ने घर पर बैठे रहने के बजाय अपनी यूनिफ़ॉर्म पहनकर ग़रीबों की मदद के लिए घर से बाहर निकलने का फ़ैसला किया है. इस दौरान वो बिना किसी की मदद के अपनी सेविंग्स से असम के दूर दराज के गावों में जाकर ज़रूरतमंदों तक भोजन व राशन पहुंचाने का नेक काम कर रहे हैं.
हमें अपने देश के अर्धसैनिक बलों पर गर्वहै
— करोना फाइटर समर्थक (@LaxmiNarayanDi4) April 12, 2020
वा देश के लिए जान भी देते हैं और मदद भी करते हैं
आशा है
संक्रमण काल के बाद
सामान्य काल में आदरणीय@PMOIndiaजी
और
आदरणीय@HMOIndia जी इनकी बुढ़ापे की लाठी कारपोरेट से वापस करेंगे
अर्थात पुरानीपेंशन बहाल करेंगे@Aamitabh2@anjanaomkashyap pic.twitter.com/WN3fi6yprG
दरअसल, ग़रीबों की परेशानी का पता चलने के बाद पदमेश्वर ने अपनी पत्नी और मां से इस बारे में बात की. इसके बाद वो तुरंत मार्किट से 10 हज़ार रुपये में 80 किलो चावल और अन्य ज़रूरी सामान लेकर आए. फिर परिवार के साथ मिलकर 2 किलो वाला चावल का पैकेट, 1 किलो आलू, 1 बोतल सरसों का तेल, 1 नमक का पैकेट, आधा किलो प्याज और आधा किलो वाले दाल के पैकेट बनाए.
इसके बाद पदमेश्वर एक ठेले पर राशन लादकर और अपनी यूनिफ़ॉर्म पहनकर ग़रीबों के बीच इसे बांटने के लिए निकल पड़े. पदमेश्वर को यूनिफ़ॉर्म इसलिए पहनी क्योंकि आम जनता के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाई गई है.
मेरी फ़ोर्स का आदर्श वाक्य है ‘सेवा और निष्ठा’, चाहे आप समूह में हों या फिर अकेले. अगर मैं अपनी फ़ोर्स के साथ होता, तो मैं अपने सहकर्मियों और अधिकारियों के साथ ज़रूरतमंदों की मदद कर रहा होता, फिर मुझे लगा क्यों न मैं ‘वन मैन आर्मी’ बनकर काम करूं?
सीआरपीएफ़ ने किया सम्मानित
SDG @JKZONECRPF felicitates ASI Padmeswar Das for his outstanding work in helping people in remote area of Assam.#LetsFightCoronaTogether
— J&K ZONE (@JKZONECRPF) April 17, 2020
For any assistance 24×7 call @CRPFmadadgaar on 14411#IndiaFightsCOVID19 https://t.co/PPwi3u33YO pic.twitter.com/rA90kouZqj
जम्मू स्थित सीआरपीएफ़ की 76वीं बटालियन के कमांडेंट नीरज पांडे ने पदमेश्वर दास की प्रशंसा करते हुए कहा, मुझे गर्व है कि उन्होंने आधिकारिक अवकाश पर होने के बावजूद लोगों की मदद की. उन्होंने हर हालत में अपनी ड्यूटी निभाई इसके लिए वो प्रशंसा के योग्य हैं.