कला की एक खासियत ये है कि हर कोई उसे अपने नज़रिए से देखता है. जो इसे नहीं समझता, उसके लिए ये कुछ नहीं, पर जो समझता है, वो इसकी कदर भी करता है और सराहता भी है. कलाकार कोई भी हो सकता है, विश्वास मानिए कोई भी! इंसान के अलावा प्रकृति भी समय-समय पर अपनी कला दिखाने से नहीं चूकती. जब ये अपनी कला के रंग बिखेरती है, तो इंसान सिर्फ़ टकटकी लगाए देखता रहता है.