कभी-कभी लोगों से भरे हुए कमरे में बैठे हुए भी हमें अचानक से अकेला सा लगने लगता है. आपको हर रोज़ ऐसा सा महसूस होता है कि कहीं तो कुछ है जो ठीक नहीं है. कहीं तो कुछ गड़बड़ सी है. मगर आप को समझ नहीं आता कि आख़िर वो क्या चीज़ है, जो आपको परेशान कर रही है. आप अपने आस-पास नज़र दौड़ाते हैं और पाते हैं कि सब ठीक सा ही चल रहा है. आपकी नौकरी, शादी, सेहत, दोस्त-रिश्तेदार सब तो पहले जैसे ही है फ़िर भी आप समझ नहीं पाते कि ये क्या अहसास है जो आपको अंदर से खाए जा रहा है.
मगर एक दिन ये भाव आप पर पूरी तरह से हावी हो जाता है. आप इसको आते हुए देख तो पा रहे थे मगर समझ नहीं पा रहे थे. ये भाव आपको अंदर से बेहद ही कमज़ोर बना देता है. आपका बिस्तर से उठने का मन नहीं करता, आप कोई काम नहीं करना चाहते हैं. बिस्तर पर सारा दिन पड़े रहना आपको ज़्यादा बेहतर लगता है.
ये दुःख, दर्द और डर जो आप महसूस कर रहे हैं ये आपके आने वाले कल का हिस्सा नहीं है. ये आपके बीते हुए पल के अनुभव हैं, जिसका भार अभी भी आपके साथ है. उस समय तो आपको लगा होगा कि आप अपने बीते हुए कल के दुःख से बाहर आ गए हैं. मगर नहीं, वो आज भी आपके साथ है और ये वही दर्द और कुछ ग़लत सा होने वाला भाव है जो आप महसूस कर रहे हैं.
क्या है न, इस जीवन में हम जो भी चीज़ महसूस करते हैं चाहें दुःख हो या सुख अगर हम उसे पूरी तरह से उनका सामना नहीं करते तो वे लगातार हमारे साथ बने रहते हैं. हमें लगता है कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा हम आगे बढ़ जाते हैं मगर नहीं ये सारे अहसास आपसे चिपके रहते हैं. और ये वही अहसास हैं जो आपको आज असहज सा महसूस करवा रहे हैं. ये भाव बिना किसी सिग्नल के आता है.
हमें कभी सिखाया ही नहीं जाता दुःख, दर्द और असहजता से जुड़े सभी भावों से लड़ना. हमें तो बस ‘सब ठीक हो जाएगा’ की आदत है. इस ही सब ठीक हो जाएगा के कारण हम अपने चारों ओर एक दीवार बना लेते हैं. और उस दीवार के पार होते हैं हमारे वो सारे घाव जिन का हमने कभी सही से इलाज़ ही नहीं किया होता है. आख़िर में एक दिन ये सभी भाव दीवार तोड़ आ जाते हैं और इस भाव से गुजरने के इलावा आपके पास कोई रास्ता नहीं होता है.
मगर जब आप पूरी तरह इस भाव से उबरने को तैयार हो जाते हैं, तो आप वो हर भाव महसूस करना शुरू करते हैं जिनको आपने नज़रअंदाज़ किया होता है.
आपका रोने का मन करेगा. आप हर उस समय के लिए रोना चाहेंगें जब आप को दुःख महसूस हुआ हो जब आपका दिल टूटा हो. आप हर उस व्यक्ति के लिए रोएंगे जिसे आपने खोया है. आप अब सोचेंगे कि मुझे उस समय ये बोलना चाहिए था या वो बोलना चाहिए था. आप वो हर इमोशन महसूस करेंगें जब आपको असहजता हुई थी. आप तब तक रोएंगे, जब तक आपका दिल हल्का न महसूस होने लगे.
एक समय बाद आप थक जाओगे रोज़ की लड़ाई और मायूसी से. आप जीवन को दोबारा से पहले की तरह जीना शुरू करना चाहोगे. ये सभी असहज भाव जो आप महसूस कर रहे थे आप उन्हें अब और बेहतर तरीक़े से समझ पाओगे.
इस उबरने की प्रक्रिया में आप सीखेंगें कि जब आप किसी क़रीबी को खोते हैं तो आपको रोना चाहिए, जब आपको गुस्सा आता है तो आपको गुस्सा रहना चाहिए, जब कुछ कहने का मन करें तो कह दो.
इस प्रक्रिया में आप सिर्फ़ वापिस जाकर चीज़ें ख़त्म करना ही नहीं सीखते बल्कि ये भी समझते हैं कि आज में रहना भी कितना ज़रूरी है. जो अभी हो रहा है उसे पूरी तरह से भी जीना चाहिए.
सच तो ये है कि आप कभी खोए हुए नहीं होते हैं आप यहीं होते हैं बस इन सब भावों के बीच कहीं छिप से गए होते हैं. और जितनी बार आप असहज हुए हैं ये आपके मन का आपसे बोलने का तरीका था कि अपने आज में जियो. जीवन बहुत बड़ा है.