आज ‘टाइगर डे’ है, ऐसे में क्यों न आज हमारे बचपन के इस हीरो को याद कर लिया जाए. सच कहूं तो हमारे बचपन की हर कहानी का हीरो टाइगर आज सिर्फ़ किताबों में ही खोकर रह गया है क्योंकि भारत में बाघों की संख्या सिर्फ़ 3 हज़ार ही रह गई है.  

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टाइगर यानी बाघ की कहानियां तो आपने बहुत सुनी होंगी, ये मेरी रियल लाइफ़ कहानी है. जिन लोगों ने टाइगर की कहानियां सिर्फ़ किताबों में ही पढ़ी हैं, आज मैं उन्हें बाघ की एक ऐसी ही रियल कहानी बताने जा रहा हूं. 

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मेरा जन्म उत्तराखंड के चमोली ज़िले के एक ऐसे गांव में हुआ, जो शहर से काफ़ी दूर है. एक ऐसा गांव जहां सड़क और बिजली कुछ साल पहले ही पहुंची है. मुझे आज भी याद है, गांव के चारों ओर घने जंगल हुआ करते थे. रात 8 बजे के बाद लोग घर से बाहर निकलने से डरते थे. उस दौर में रात के समय हमारे घरों के आस-पास बाघ आ जाया करते थे.  

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ये रही मेरी कहानी- 

बात करीब 20 साल पुरानी है. उस वक़्त हम गांव में ही रहा करते थे. सब कुछ सही चल रहा था. अचानक एक-एक करके गांव के सभी कुत्ते गायब हो रहे थे. गांव वाले कुत्तों के गायब होने से हैरान थे. हैरानी की बात ये थी कि सभी कुत्ते रात के समय गायब हो रहे थे. अब लोग ये जानना चाहते थे कि आख़िर कुत्ते रात में ही गायब क्यों हो रहे हैं?  

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एक दिन गांव के कुछ लोगों ने देर रात तक जागने का फ़ैसला किया. वो एक ऐसे घर में छुपकर बैठ गए, जिनके पास कुत्ता था. घर के आस-पास काफ़ी अन्धेरा था. घने अंधेरे से बचने के लिए बस एक मोमबत्ती जली हुई थी. इस दौरान कुत्ते को घर के बाहर ही बांध दिया था. 

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रात के करीब 11 बजे होंगे इतने में कुत्ते को आस-पास से कुछ सुगबुगाहट सुनाई दी. इतने में सभी लोग अलर्ट हो गए. तभी उन्होंने दूर अंधेरे में किसी जानवर की दो चमकती आंखें दिखाई दीं. वो धीरे-धीरे कुत्ते के करीब आ रही थीं. इतने में कुत्ता ज़ोर ज़ोर से भौंकने लगा, गांव वाले कुछ समझ पाते, कुत्ते का भौंकना बंद हो गया.   

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जब तक गांव वाले कुत्ते के पास पहुंचे तो देखा कि कुत्ता गायब था. कुत्ते की हल्की-हल्की चीखने की आवाज़ें आ रही थी. आवाज़ सुनकर गांववाले भी उसी तरफ़ भागे. इतने में किसी ने टॉर्च मारकर देखा कि एक बाघ कुत्ते को मुंह से घसीटकर ले जा रहा है. कुत्ता लगभग मर चुका था, इसलिए गांव वालों ने उसे जाने दिया. इस दौरान गांव वालों को ये पता चल चुका था कि बाघ कुत्ते को किस जगह पर ले गया है.  

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अगली सुबह करीब 10 बजे गांव के कुछ लोग उस जगह पर गए. ये जगह हमारे घर से एक घर छोड़कर खेत के किनारे पर एक पेड़ की आड़ थी. जहां पर लोगों ने सूखी घास का ढेर बनाया हुआ था. जब लोग इस जगह पर पहुंचे तो वहां का मंज़र देख हर कोई हैरान रह गया. लोगों को वहां पर बाघिन के तीन छोटे-छोटे शावक मिले, लेकिन उस समय बाघिन वहां मौजूद नहीं थी.  

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इस जगह पर बिखरी हड्डियों को देख गांववाले समझ गए कि कुत्तों के गायब होने के पीछे इसी बाघिन का हाथ है. इसके बाद, जब बाघिन को एहसास हुआ कि इस जगह पर इंसान पहुंच चुके हैं तो वो अपने बच्चों को लेकर ख़ुद ही वहां से चला गया.  

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मैं कई बार अपने गांव के बारे में सोचता हूं, तो मन ही मन सिरहन पैदा हो जाती है कि हम तब बाघों के बीच जिया करते थे. हालांकि, इतने सालों बाद पहाड़ों से दूर शहर के लोगों के बीच जब बाघों के बारे में बात करता हूं, तो खुद को ख़ुशक़िस्मत मानता हूं कि बाघ की एक झलक के लिए मुझे चिड़ियाघर के चक्कर नहीं काटने पड़े!.