कर्नाटक के बेलगाम ज़िले के शिरूर गांव में रहते हैं Satish Shidagoudar. इन्होंने ग्रेजुएशन में डबल डिग्री ले रखी है. ये टीचर बनना चाहते थे, मौक़ा भी मिला मगर नौकरी के लिए लाखों रुपये रिश्वत देने की डिमांड हुई. सतीश चाहते थे कि उन्हें रिश्वत के दम पर नहीं बल्कि क़ाबिलियत के दम पर नौकरी मिले. नौकरी न मिलने पर इन्होंने हमेशा के लिए अपना इरादा बदल लिया और आज वो खेती के ज़रिये सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं. 

दरअसल, सतीश अपने खेतों में करेले की खेती करते हैं. इसकी खेती के लिए उन्होंने आधुनिक तौर-तरीक़ों को सहारा लिया. इससे उनके उत्पादन में वृद्धी हुई और आज वो सालाना 50 टन करेले का उत्पादन करते हैं वो भी 1.5 एकड़ खेत में. इसकी मदद से वो सालाना क़रीब 16 लाख रुपये की कमाई करते हैं. वो अपने इलाके में करेला विशेषज्ञ के रूप में वर्ल्ड फ़ेमस हैं. 

नौकरी के लिए नहीं दी घूस 

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साल 2008 में जब उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी की थी तब वो टीचर के पद पर नौकरी करना चाहते थे. इसके लिए कुछ लोगों ने 16 लाख रुपयों की घूस मांगी. मगर सतीश ने 16000 रुपये महीने की नौकरी के लिए घूस देने से इंकार कर दिया.

सीखे खेती के आधुनिक तौर-तरीके 

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हालांकि, उनके पिता किसी तरह कर्ज़ा लेकर बेटे की मदद को तैयार थे पर सतीश का दिल नहीं माना. इसके बाद सतीश ने भी अपने पिता और चाचा के साथ मिलकर खेतों में काम करना शुरू कर दिया. एक तरफ जहां उनके पिता खेती के लिए पुराने तरीकों का प्रयोग करते थे, वहीं दूसरी तरफ सतीश ने खेती के आधुनिक तरीक़ों को अपनाया. उन्होंने काफ़ी रिसर्च की और दूसरे किसानों से भी सीखा

फिर उन्होंने मार्केट में देखा कि करेले की डिमांड अधिक है और लोग बहुत कम ही इसकी खेती करते हैं. उन्होंने पिता से थोड़े पैसे लेकर 0.25 एकड़ में इसकी खेती शुरू कर दी. हालांकि, शुरुआत में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जैसे फसल में कीड़े लगना, पानी की समस्या आदि. 

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इनका समाधान भी उन्हें खेती के आधुनिक तौर तरीकों में मिला. उन्होंने करेले की फसल के साथ वो सारे एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिए. पहले करेले के पौधे के लिए बेड तैयार किया, जिसमें जैविक खाद डाली जाती थी. इसके बाद ड्रिप इरिगेशन की मदद से उन्हें हर दूसरे दिन पानी दिया जाता. इससे पानी की बचत भी होने लगी. 

हर साल तैयार करते हैं 50 टन करेला 

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पत्तों में लगने वाले कीड़ों के लिए भी जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया. इस तरह कुछ ही महीनों में करेले की अच्छी ख़ासी फसल तैयार हो गई. अगली बार उन्होंने 1.5 एकड़ में करेले की खेती शुरू कर दी. अब वो हर साल क़रीब 50 टन करेला तैयार कर रहे हैं. 

उनका कहना है कि एक टन करेले की क़ीमत 35-50 हज़ार रुपये है. हर साल वो क़रीब 30 बार फ़सल काटते हैं. इस तरह वो सालाना तकरीबन 16 लाख रुपये तक कमा लेते हैं, जो उस सरकारी नौकरी में शायद ही संभव हो पाता. सीज़न में तो हर दिन 25 हज़ार रुपये तक कमा लेते हैं. 

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सतीश का कहना है कि अच्छा हुआ जो उस दिन वो घूस देने को तैयार नहीं हुए, नहीं तो आज वो एक सफ़ल किसान कभी नहीं बन पाते. उन्होंने बताया कि इसकी खेती में उन्होंने शुरुआत में बस 1.5 लाख रुपये का ही निवेश किया था. लेकिन आज उसकी बदौलत वो लाखों रुपये सालाना कमा रहे हैं. 

हर कोई थोड़ी सी मेहनत से खेती को मुनाफ़े का सौदा बना सकता है 

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सतीश कहते हैं- ‘मेरे पिता 50 सालों से अलग-अलग प्रकार की सब्ज़ियां उगाते आ रहे हैं. मगर कभी उन्हें इतना मुनाफ़ा नहीं हुआ क्योंकि उनकी सब्ज़ियों की क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं थी. मेरा मानना है कि थोड़ी सी मेहनत और लगन से कोई भी खेती को घाटे का नहीं मुनाफ़े का सौदा बना सकता है.’ 

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