देश में अक्सर शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर कई तरह के प्रोग्राम चलाए जाते हैं, लेकिन ज़रूरतमंदों तक सरकार की ये योजनाएं ठीक से पहुंच नहीं पाती हैं. ऐसे में कुछ गैर सरकारी संस्थाएं ज़रूरतमंदों को शिक्षा की मुख़्य से जोड़ने का काम कर रही हैं.
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कर्नाटक के कुर्ग ज़िले में स्थित ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ एनजीओ भी इसी कोशिश में लगा हुआ है. कुर्ग के सिद्धपुरा में स्थित ये एनजीओ वर्तमान में 40 ज़रूरतमंद बच्चों को फ़्री शिक्षा दे रहा है.
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‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ की ख़ास बात ये है कि ये इको फ़्रेंडली एनजीओ है. मिट्टी और लकड़ी से बना ये एनजीओ इस इलाके में अपने 10 सेंटर के ज़रिये 3 से 6 साल के 840 बच्चों को पढ़ाने का नेक काम कर रहा है.
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The Better India से बातचीत में ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ एनजीओ के संस्थापक James Ambat ने बताया कि, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले और दिहाड़ी मज़दूरी करने वाले अपने बच्चों को किंडरगार्डन में भेजने के बजाय सरकारी स्कूलों में सीधे कक्षा 1 में सीधे भर्ती करवा देते हैं. इस दौरान उनके लिए उच्च स्तर के पाठ्यक्रम के साथ तालमेल बिठा पाना कठिन होता है. इसलिए हम 3 से 6 साल के ऐसे बच्चों को बच्चों फ़्री एज्युकेशन देते हैं.
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‘मॉर्निंग ग्लोरी’ के नाम से प्रसिद्ध ये एनजीओ अपनी ख़ूबसूरत बनावट के चलते भी बच्चों और लोगों के आकषर्ण का केंद्र बना रहता है. बच्चों को एक अच्छा माहौल देने के लिए ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ ने यहां की सभी बिल्डिंग को ख़ास तौर पर डिज़ाइन की हैं. शांत वातावरण और शुद्ध हवा में बच्चों को यहां हर तरह की सुविधा दी जाती है.
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अंग्रेज़ी माध्यम के इस स्कूल में छात्रों को हर दिन दो बार के भोजन के साथ ही किताबें, स्टेशनरी और बैग फ़्री में दिए जाते हैं. यहां पर सभी बच्चों को मानसिक और शारीरिक विकास से जुड़ी कई तरह की एक्टिविटीज़ भी करायी जाती हैं.
उम्मीद करते हैं कि ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ एनजीओ अपनी इस पहल के ज़रिये देशभर के ग़रीब बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम भी करे.