सूचना और तकनीक के इस दौर में आज इंसान लगातार तरक्की कर रहा है. आये दिन नए-नए आविष्कार हो रहे हैं. ऐसे में इंसान की ज़िन्दगी पहले से थोड़ी आसान हो गयी है. आज हर इंसान चाहता है कि उसके पास गाड़ी, बांग्ला और ऐशो-आराम की सारी चीज़ें हों. छोटा शहर या फिर बड़ा शहर, ऐसा कोई भी घर नहीं होगा जिनके पास गाड़ी न हो. दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों की तो बात ही अलग है. यहां सड़कों पर इंसान कम गाड़ियां ज़्यादा दिखती हैं. ऐसे में कार या मोटरसाइकिल आदि का ख़राब या पंक्चर होना भी लाज़मी है. ऐसी स्थिति में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों को घंटों गाड़ी को धक्का मार कर मैकेनिक के पास जाना पड़ता है.

जब गाड़ी ख़रीदने गए हों तो कंपनियां डोर टू डोर सर्विस की बात करती हैं. लेकिन जब किसी की गाड़ी ख़राब हो जाये और इंसान मुसीबत में फ़ंसा हो तो इनकी सारी सर्विसेज़ की पोल खुल जाती है. 10 बार कॉल करो, तब जाकर कहीं एक बार बात हो पाती है. उसमें भी कंपनी वाले एक से दो घंटे का वक़्त मांगते हैं. 

इंदौर में चलती-फिरती मैकेनिक शॉप चलाते हैं फिरोज़ खान.

लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक ऐसा व्यक्ति भी है, जो आपकी, गाड़ी को धक्के मारने की समस्या को चुटकी में ख़त्म कर देता है. इंदौर के रहने वाले फ़िरोज़ ख़ान ने एक नई पहल शरू की है. फ़िरोज़ बिना किसी बड़ी लागत के एक चलती-फिरती पंक्चर बनाने वाली दुकान चला रहे हैं. अपनी मोटरसाइकिल को ही उन्होंने पक्चर बनाने की दुकान में बदल दिया है. दिन हो या रात इंदौर के किसी भी इलाके में अगर आपकी गाड़ी ख़राब हो जाती है, तो फ़िरोज़ एक कॉल पर अपनी मोटरसाइकिल कम पंक्चर की दुकान लेकर लोगों की मदद करने पहुंच जाते हैं. अक्सर देखा गया है कि हाइवे वगैरह पर कार या मोटरसाइकिल पंक्चर होने से मुसाफ़िर ज़्यादा परेशान हो जाते हैं, ऐसे में फिरोज़ लोगों के लिए मददगार साबित होते हैं. इसके बदले में वो सिर्फ़ सौ या दो सौ रुपये ही लेते हैं.

वैसे तो फ़िरोज़ कई सालों से अपनी इस पंक्चर की दुकान को चला रहे हैं, जिससे उनकी ज़िंदगी का गुज़ारा होता है. लेकिन साल 2015, उज्जैन मेले के दौरान फ़िरोज़ ने देखा कि मेले में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियों भारी मात्रा में पंक्चर होने से उनको काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उसी दौरान उन्होंने ये मोबाइल पंक्चर शॉप शुरू की, हालांकि उस वक़्त ये सेवा सिर्फ़ उज्जैन मेले तक के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने का ये काम पूरे इंदौर में फैल गया. फ़िरोज़ की ये चलती-फिरती मोबाइल पंक्चर शॉप आज पूरे इंदौर शहर में फ़ेमस है.

फ़िरोज़ ने बताया, ‘मेरे पास देर रात मुसीबत में फंसे लोगों की कॉल आती हैं, जिसमें से अधिकतर गाड़ी पंक्चर होने या किसी हाइवे पर फंसे होने की कॉल्स होती हैं. सौ में से 99 बार मैं मदद के लिए बताई हुयी जगह पहुंच जाता हूं.’

आज शहर के तमाम लोग फ़िरोज़ को जानते हैं. उनके अच्छे व्यवहार और लोगों की मदद करने वाली अच्छी आदत के कारण तमाम लोग उन्हें पसंद करते हैं. उनकी इस चलती-फिरती दुकान की इंदौर पुलिस भी इज़्ज़त करती है क्योंकि सड़क पर किसी गाड़ी के पंक्चर हो जाने से लगे ट्रैफ़िक को हटाने के लिए पुलिस भी फ़िरोज़ से ही मदद लेती है.

फ़िरोज़ की बेटी अलीना जो पांचवी में पढ़ती है, वो कहती है कि जब कोई व्यक्ति किसी परेशानी में फंस जाता है, तो पापा उसकी मदद करते हैं. वो अपने पापा को किसी सुपरहीरो से कम नहीं समझती है.

फ़िरोज़ की दुकान के पास में कारोबार करने वाले लोग भी बताते हैं कि फ़िरोज़ भाई अच्छा काम कर रहे हैं. आज शहर में हर कोई उन्हें जानता है. उनको सरकारी मदद तो नहीं मिली, लेकिन शहर के सभी लोग उन्हें ख़ूब प्रोत्साहित करते हैं.

इन दिनों सोशल मीडिया पर भी फ़िरोज़ की चलती-फिरती दुकान की तस्वीरें ख़ूब वायरल हो रही हैं. ऐसे में कभी-कभी तो लोग इंदौर से बाहर के लोगों के फ़ोन भी उनके पास आ जाते हैं. जब बाहर के लोग उन्हें फ़ोन करते हैं, तब फिरोज़ बताते हैं कि वो सिर्फ़ इंदौर में ही काम करते हैं.