28 सालों में पहली बार मिस्त्र की टीम फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है. फ़ॉरवर्ड मुहम्मद सलाह के दो गोलों की बदौलत मिस्र ने कॉन्गो की टीम पर 2-1 की जीत दर्ज कर एक नया इतिहास रच डाला. जीत के इस जश्न में एक और शख़्स हीरो की तरह सामने आया है, जिसने मुश्किल हालातों में अपने सपनों का साथ नहीं छोड़ा.

मिलिए मिस्र के महमूद अब्दु से जो किसी सेलिब्रेटी से कम नहीं हैं. इनकी ज़िंदगी के बारे में बात करें, उससे पहले बता दें कि ये अब्दु एक पैर से न सिर्फ़ फुटबाल खेलने का हौसला रखते हैं, बल्कि वो कोच बन कर औरों को भी फुटबाल खेलना सिखाते हैं. अब्दु महज़ 6 वर्ष के थे, जब उन्होंने एक भयंकर दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया. कई ऑपरेशन से गुज़रने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की. स्नातक ख़त्म करने के साथ-साथ एक शॉप पर बतौर सेल्स असिस्टेंट भी काम किया.

अलेक्जेंड्रिया के रहने वाले अब्दु Cairo स्थित Al Ahly SCsupporter टीम भी संचालित करते हैं. इतना ही नहीं, अब्दु ने सहकर्मियों के साथ मिलकर फुटबॉल में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए एक टीम का भी निर्माण किया. मिस्त्र की ये इकलौती ऐसी टीम है, जो दिव्यांगों को फुटबॉल खेलना सिखाती है. अब्दु Real Madrid C.F. Cristiano Ronaldo को अपनी प्रेरणा मानते हैं और भविष्य में उनसे मिलने की चाहत रखते हैं.

सच अब्दु जैसे लोग दुनिया में बहुत कम होते हैं. हम ये भी कामना करेंगे कि आप यूं ही तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते रहें और अपने हर सपने को साकार करने की कोशिश करते रहें.