एक शिक्षक ख़ुद जलकर अपने छात्रों की ज़िन्दगी रौशन करता है. शिक्षक ही वो एक शख़्स है जो किसी छात्र के सपनों को सही आकार देने में सहायता करता है.

और कई बार शिक्षक अपने छात्रों के लिए ख़ुद को भी भूल जाता है. Humans of Bombay ने एक ऐसे ही एक शिक्षक की कहानी शेयर की.

‘मैं बिहार में अपने गांव में प्राइमरी स्कूल का शिक्षक था. मुझे एक छात्र अच्छे से याद है… छोटा सा, ग़रीब परिवार का. बहुत तेज़ था वो और सीखने की प्रबल इच्छा. लेकिन उसके माता-पिता उसकी पढ़ाई का पूरा ख़र्च उठाने में असमर्थ थे. उसके पास किताबें, ढंग की यूनिफ़ॉर्म तक नहीं थी. उसे देखकर मुझे बहुत दया आई और मैंने उसकी किताबें, कलम, बैग और यूनिफ़ॉर्म का ख़र्च उठाने का फ़ैसला किया. कुछ साल बाद जब उसके घर की आर्थिक स्थिति और ख़राब होने लगी तो उन्होंने उसे स्कूल भेजना बंद कर दिया. तब मैं उसकी स्कूल फ़ीस भी देने लगा. जब मैं उसकी वर्तमान में सहायता कर सकता था तो मैं भविष्य में बचत के बारे में क्यों सोचूं?

स्कूल के बाद भी वो मेरे संपर्क में था. कॉलेज फ़ीस के लिए उसे लोन मिल गया…उसका लक्ष्य निश्चित था, वो डॉक्टर बनना चाहता था. जब भी वो फ़ोन करता मैं उससे यही कहता कि जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो मुझ से कहे, लेकिन वो अपनी मदद ख़ुद करता. पढ़ाई के साथ-साथ वो काम भी कर रहा था और उन पैसों से अपनी पढ़ाई का ख़र्च उठाता. आज वो एक डॉक्टर है…उसकी सारी मेहनत का उसे फल मिल गया और मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि वो मेरा छात्र है. आज भी वो हर हफ़्ते मुझे फ़ोन करता है और शहर में बहुत काम होने के बावजूद मुझसे मिलने मेरे गांव आता है. मैंने उसे एक आम गांव के लड़के से सफ़ल डॉक्टर बनते देखा है और उसके सफ़र का हिस्सा बनकर मैं गर्व महसूस करता हूं.’

अगर आप किसी ज़िन्दगी में ज़रा सा भी सकारात्मक प्रभाव ला पाएं, तो कभी पीछे मत हटियेगा. आपका एक कदम किसी की ज़िन्दगी बदल सकता है.