कोविड- 19 पैंडमिक ने दुनिया की काया पलट दी. भारत में अनाउंस हुए अचानक लॉकडाउन की मार हर एक पर पड़ी. क़िस्मत वाले थे वो जिनकी कंपनी ने अनिश्चितकाल तक वर्क फ़्रॉम होम की घोषणा कर दी थी और वे वक़्त रहते घर निकल लिए थे. जो नहीं निकल पाए वो फंस गए शहरों के कॉन्क्रीट जंगल में.


पैंडमिक में यूं तो जीवन को कई Perspectives से देखने का मौक़ा मिला लेकिन इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव सामने आए. ख़ासतौर पर उन लड़कियों के लिए जो अकेली रहती हैं. वैसे तो इस दुनिया में ही महिला सुरक्षा एक बड़ा प्रश्नचिह्न है. दुनिया के ‘तौर-तरीकों’ की वजह से महिलाएं हमेशा ही एक संदेह, एक भय के साये में रहती हैं. चाहे हम कितना भी सेल्फ़-डिफ़ेंस सीख लें अंधेरी गली से गुज़रते वक़्त दिमाग़ में कई तरह के विचार आते ही हैं.

पैंडमिक के दौरान मुझे भी अकेले रहना का मौक़ा मिला, वैसे तो कोई अप्रिय घटना नहीं घटी पर कई तरह के संदेह, नकारात्मक विचार आते रहे- 

1. Wifi वाले को बुलाना ठीक रहेगा क्या, वो किसी के साथ आया तो?

Cyber Tecz

2. ग्रोसरी वाला आएगा तो गेट के बाहर से ही सामान ले लूंगी

Pvtistes

3. पानी वाले को एक बार में 2 बोतल लाने कह देती हूं

Eco Salon

4. खाना बनाने मन नहीं है पर डिलीवरी वाले का भी कोई भरोसा नहीं

Shape

5. ये सामने रहने वाला जब भी मैं बाहर निकलूं, बाहर क्यों होता है?

Business Insider

6. घर चले जाना ही बेहतर था, क्या क्या देखूं यार?

Elsevier

7. बालकनी में भी मास्क लगाकर निकलूं क्या, ये बाइक वाला रोज़ दिख रहा है

Freepik

8. सब्ज़ीवाला भी पहचान गया है, रोज़ नीचे आकर आवाज़ लगाता है

NDTV

9. फल लेना छोड़ देंगे, ये क्या तरीक़ा है बोलने का ‘आपके लिए तो 100 कम कर दूं’

Fresh Fruit Portal

10. ये ऊपर वाले अंकल रोज़ पार्किंग के लिए पूछने क्यों आ जाते हैं?

Times of India

11. वॉक करने अकेले जाना सही रहेगा?

The Conversation

12. साईक्लिंग पर चले तो जाएं पर वो लड़कों का ग्रुप रोज़ साथ-साथ चलने लगता है

Forbes

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