घूमने-फिरने का शौक हर किसी को होता है. पहाड़ों का खुला वातावरण, साफ़ सुथरी सड़कें, हरे-भरे खेत, बर्फ़ से ढकी हिमालय की चोटियां, नदियां, झरने और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हर किसी को आकर्षित करते हैं.

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उत्तराखंड से होने के नाते मुझे हमेशा प्रकृति से बेहद प्रेम रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों से पहाड़ों की आबो-हवा बेहद ख़राब हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक मात्रा में आये पर्यटकों द्वारा फैलाई गयी गंदगी.

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शहरों में रह रहे लोगों के लिए पहाड़ों का महत्व कुछ अलग तरह का होता है. हर साल लाखों पर्यटक उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की वादियों में छुट्टियां बिताने जाते हैं. वापस लौटने पर वो वहां शहर की गंदगी छोड़ आते हैं. पर्यटकों की मौज-मस्ती के अड्डे बन चुके ये हिल स्टेशंस इसकी कीमत चुका रहे हैं.

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घूमना-फिरना लोगों का अपना फ़ैसला है लेकिन पर्यटक जिस तरह से इन ख़ूबसूरत जगहों को गंदा करके वापस लौटते हैं, वो बेहद निराशाजनक है. हिल स्टेशंस छुट्टियों को यादगार बनाने के लिए होते हैं न कि गंदगी फैलाने के लिए.

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अकसर देखा जाता है कि पर्यटक जगह-जगह पॉलीथीन, पानी की खाली बोतलें, चिप्स के पैकेट और शराब की बोतलें फेंककर पहाड़ों की रौनक छीनने का काम कर रहे हैं. जिन गांववालों ने आज तक कभी बियर की बोतल तक नहीं देखी थी, उन्हें आज बियर की खाली बोतलें समेटनी पड़ रही हैं.

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माना कि पर्यटकों की वजह से हिल स्टेशंस के निवासियों को रोज़गार मिलता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम बेपरवाह होकर जहां-तहां कुछ भी फेंक दें. वो भी ये जानते हुए कि यही पहाड़ हमें सुकून भरी ज़िंदगी दे रहे हैं.

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आज पहाड़ों में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण की बढ़ती समस्या. पहाड़ों की आबो हवा ख़राब करने का काम हम और आप जैसे लोग ही कर रहे हैं.

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उत्तराखंड का होने के नाते मेरा सभी पर्यटकों से यही निवेदन है कि अगर आप किसी भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर छुट्टियां मानाने जा रहे हैं, तो गंदगी फैलाने से बचें.

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अगर आप किसी हिल स्टेशन पर छुट्टियां बिताने जा रहे हैं, तो अपनी कार ले जाने के बजाय वहां के लोकल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा. इसके दो फ़ायदे हैं-

पहला- प्रदूषण नहीं होगा. 

दूसरा- हिल स्टेशंस के लोगों को रोजगार मिल जायेगा. 

किसी नदी में जा रहे हैं तो उसे गंदा न करें, ट्रेकिंग वाली जगहों पर पॉलीथीन, पानी की खाली बोतलें, चिप्स के पैकेट और शराब की बोतलें न फेंके, पहाड़ की धरोहरों को नुकसान न पहुंचाएं, वहां के कल्चर का सम्म्मान करें.