शुरू से ही मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति को तबाह करता आया है. प्रकृति को बर्बाद करने से सबसे बड़ा नुकसान भी इन्सान को भुगतना पड़ता है, पर व्यापार और अर्थ के लालच में घिरा इन्सान ये सब देख नहीं पाता. जापान के ओसाका में एक ऐसी जगह है, जिसे देख कर आप ये समझ जाएंगे कि मनुष्य और प्रकृति एक साथ रह सकते हैं. यहां एक कपूर का विशाल पेड़ है, जिसको आगे बढ़ते रहने के लिए प्लेटफार्म की छत पर बड़ा सा छेद कर दिया गया है. 

स्थानीय लोगों के अनुसार, ये पेड़ करीब सात सौ साल पुराना है. इस पेड़ के साथ कई लोगों का प्यार और कई अन्धविश्वास जुड़े हुए हैं.

इस पेड़ के ठीक बगल में ही 1910 में कायाशिमा स्टेशन बनाया गया था. पर 60 सालों में जनसंख्या विस्फोट होने के कारण स्टेशन का विस्तार करना ज़रूरी हो गया. इस योजना को 1972 में स्वीकृति भी दे दी गई. 

नए कमरों को बनाने के लिए पेड़ को काटना ज़रूरी था. पर जो भी इस पेड़ को काटने के लिए आगे आया, किसी न किसी आकस्मिक दुर्घटना में उसका अंत हो गया. एक दिन जब किसी आदमी ने इसकी एक डाली काट दी, तब उसे शाम में बहुत ही तेज़ बुखार हो गया और अगले दिन लोगों ने पेड़ की जड़ों से धुआं निकलते देखा.

स्थानीय लोगों को जब अपने प्यारे पेड़ पर होने वाले अत्याचार के बारे में पता चला तो उन्होंने निर्माण कार्य का विरोध करना शुरू कर दिया. जल्द ही पेड़ की दैविक शक्तियों की कहानी पूरे इलाके में फ़ैल गई. 

आख़िरकार अधिकारियों को झुकना पड़ा और उन्होंने अपने डिज़ाइन में बदलाव कर नए तरीके से स्टेशन का निर्माण कराया. इस निर्माण में पेड़ को उसकी जगह पर छोड़ दिया गया और उसके बढ़ने का भी भरपूर स्थान दिया गया. 

अब इसके आस-पास छोटे से मंदिर का निर्माण भी करा दिया गया है.