न वो औरत है, न ही मर्द, समाज उनको आज भी हिक़ारत की नज़र से देखता है, जबकि उनको क़ानून व्यवस्था उनको तीसरे जेंडर का दर्जा भी दे चुकी है. आम बोलचाल में इनको ट्रांसजेंडर कहा जाता है. समाज में अधिकतर इनको ताने मिलते हैं. परिवार वाले भी इनको अपनाते नहीं हैं दर-दर भटकने को छोड़ देते हैं.
मगर इनके प्रति समाज का रवैया ऐसा क्यों है, इनको भी भगवान ने बनाया है और इनको भी जीने का उतना ही अधिकार है, जितना बाकियों को है. मगर हमारे समाज का एक हिस्सा वो भी है जो इनमें ट्रांसजेंडर के साथ कोई भेदभाव नहीं करता है. शायद यही वहज है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में हिस्सा लेने वाले कुछ ट्रांसजेंडर जीत कर आगे आये हैं. और सरकार की तरफ से भी इनको मुख्य धारा में लाने के लिए कई सुविधाएं दी जा रही हैं.
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आज हम आपको एक ऐसे ही ट्रांसजेंडर से मिलवाने जा रहे हैं. जिसके बारे में फ़ेसबुक यूज़र, Poonam Khinchi ने एक पोस्ट शेयर की है. इस पोस्ट में पूनम ने मुंबई में एक ऑटो ड्राइवर जो ट्रांसजेंडर हैं से हुई अपनी बात के बारे में लिखा है. ये पोस्ट एक तरफ आपको उम्मीद की किरण दिखाएगी, तो वहीं दूसरी तरफ आपको दुखी भी कर देगी.
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पूनम की पूरी पोस्ट आप यहां पढ़ सकते हैं:
उस ऑटो ड्राइवर का नाम मंजू था, और उसके लम्बे-लम्बे नाख़ून थे जिनपर लाल रंग की नेल पॉलिश लगी हुई थी. जिसे देखकर मैंने कहा, ‘इतना लंबा नाख़ून’?जवाब में मंजू ने मीठे और विनम्र लहजे में जवाब दिया कि वह ईद की तैयारी कर रही है.
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दीदी ईद की तैयारी कर रही हूं.
इसके बाद हम दोनों के बीच बातों का सिलसिला चालू हुआ.
मंजू ने बताया कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहती है. इसके साथ ही मंजू ने बताया कि एक होटल से उसको नौकरी से केवल इसलिए निकाल दिया था क्योंकि वो एक ट्रांसजेंडर है. इस लम्बी बातचीत में ये बात भी मुझे पता चली कि हिंसा और धमकी भरे इस माहौल में आज भी कैसे ट्रांसजेंडर समुदाय अपना अस्तित्व बनाये हुए है.
मंजू, जो पिछले 5 सालों से ऑटो चला रही है, लेकिन वो रात में 11 बजे के बाद ड्राइव नहीं कर सकती है, क्योंकि कुछ लोग जानबूझ कर उसे तंग और परेशान करते हैं.
मंजू की ये कहानी सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत रही है:
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मंजू की ये कहानी उन सभी के लिए एक तमाचा हैं, जो खुद को समाज का ठेकदार तो बोलते हैं लेकिन समाज के ही एक हिस्से को समाज का नहीं मानते हैं. लेकिन हर तरह की विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए मंजू निडर होकर मुंबई की सड़कों पर रानी की तरह ऑटो चलाती हैं और लोगों को उनकी मंज़िल काट पहुंचाती हैं.