जिन्हें लोग अपना हिस्सा नहीं मानते वो अपने हिस्से का जो कर पाते हैं वो ज़रूरतमंदों के लिए कर देते हैं. वो इस देश के नागिरक होने का पूरा फ़र्ज़ निभाते हैं यहां के नियम-क़ानून सब मानते हैं. बस इन्हें ये समाज अपना हिस्सा नहीं मानता है. ये हिस्सा कोई और नहीं, बल्कि किन्नर हैं. ये ताली बजाकर लोगों को दुआएं देते हैं. ख़ुशियों में चार चांद लगा देते हैं. 

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इसी समाज की मुंबई की रहने वाली माधुरी खरात मुंबई के गरीब एरिया के लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहती हैं. वो लल्लूभाई कम्पाउंड में रहती हैं. मुंबई के मानखुर्द की सबसे बड़ी कॉलोनी SRA कॉलोनी जिसे स्लम रिहेबिलिटेशन कहा जाता है. वहां 65 पीली इमारतें बनी हैं. यहां रहने वालों को सबसे गरीब निवासियों के रूप में भी जाना जाता है.

2005 में जब मानखुर्द के निवासियों को यहां से दूसरी जगह भेज दिया गया था. क्योंकि यहां पर झुग्गियों को हटाकर एक पुनर्वास अभियान चलाया गया था.

उस समय इन लोगों की मदद माधुरी खरात ने की थी. तब से यहां के घरों के एंट्री गेट पर एक नाम और स्क्रिबल्ड फूल चिह्न है, जो ट्रांसजेंडर माधुरी का प्रतीक है, जो मुंबई के सबसे गरीब इलाकों की रानी है. इन्होंने इन झुग्गियों और क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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माधुरी थोड़ी शर्मीली लेकिन कॉन्फ़िडेंट इंसान हैं. वो एक शांत कमरे में रहती है, जिसमें सिर्फ़ चूड़ियों और पायल की आवाज़ आती है. वो रंगीन बिंदी और डार्क कलर की लिप्सिटक लगाती हैं.

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मुंबई के इस इलाके में क्राइम रेट बहुत ज़्यादा है इसके अलावा 51.8% बेरोज़गारी दर है. यहां पर दिन में सिर्फ़ 15 मिनट के लिए पानी आता है और बिजली भी कम आती है. 

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माधुरी को इन लोगों के लिए काम करने के लिए बहुत सराहा जाता है. वो मानखुर्द में क्राइम रेट को कम करने के प्रयास करती रहती हैं. उनका कहना है,

मैं इस इलाके में शांति के लिए कोशिश करती रहती हूं. ये वो हिस्सा है जिसे सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया है. इस इलाके की हालत अधिकारियों और सांसदों की लापरवाही की वजह से हुई है. यहां का सिस्टम इस इलाके के सबसे कमज़ोर वर्ग को उचित सुविधाएं देने में विफ़ल रहा है. कोई अधिकारी इस जगह झांकने भी नहीं आता है.
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उन्होंने Voice.Com को बताया,

पुलिस भी इस जगह आकर अपना टाइम बर्बाद नहीं करना चाहती है. यहां पर जब कोई दिक्कत हो जाती है, तो वो इसके लिए ‘पुलिस पंचायत प्रक्रिया’, जिसमें सात महिलाएं और तीन पुरुष होते हैं जो पूरी घटना की जांच पड़ताल करते हैं, को बुलाती हैं.
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इस पंचायत की शुरुआत Activist Jockin Arputham ने की थी, जिन्हें 2000 में रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिल चुका है. माधुरी ने ट्रांजिट कैंपों के बारे में भी बात की जहां लल्लूभाई को क्वार्टर या घर सौंपे जाने से पहले एक साल से अधिक समय तक बेघर रहना पड़ा था.

Arputham ने महिला मिलन नामक गठबंधन की स्थापना भी की. महिला मिलन संगठन में माधुरी स्वयंसेवकों में से एक थीं. मगर वहां रहने वाली दूसरी महिलआों से माधुरी का विवाद हो गया, उनके रहन-सहन के तरीके के चलते. लेकिन माधुरी साहसी और मज़बूत थीं और उन्होंने इस संगठन के लिए जी जान से काम किया और इसे सफ़ल बनाया.

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लोगों को कोई भी समस्या होती है वो इस पंचायत में आते हैं और माधुरी उनकी समस्याओं को तुरंत ही हल करती हैं. लल्लूभाई में रहने वाले लोगों को माधुरी पर बहुत विश्वास है. उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए चाइल्ड होम बनाया और घरेलू हिसां का शिकार हो रही महिलाओं को हक़ दिलाया.

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माधुरी जैसे लोगों की इस दुनिया को बहुत ज़रूरत है, जिनमें ग़लत के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत हो.