गुजरात के डांग जिले में आदिवासी महिलाएं चला रहीं नहरी नाम से एक रेस्टोरेंट. 

एकदम पपंपरागत शैली में बने इस रेस्टोरेंट में खाना भी बिलकुल स्थानीय अंदाज़ में पकाया जाता है. यहां आपको वो खाने मिलेगा जो कहीं और नहीं मिल सकता. रेस्टोरेंट की साज-सज्जा भी बिलकुल ऐसी ही की गई है. 

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आदिवासी भाषा में नहरी का अर्थ ‘मेहमान के लिए खाना’ होता है. 

इस रेस्टोरेंट की शुरुआत 2007 में वंसदहस के पास गंगपुर में हुई थी. तबसे इसने इतनी तरक्की कर ली है कि तीन जिलों में 13 होटल की चेन खुल चकी है. 

बेहद ही कम लोग इस रेस्टोरेंट के बारे में जानते हैं और साथ ही ये कि इस रेस्टोरेंट की पूरी कमान आदिवासी महिलाओं के हाथ में हैं. ये महिलाएं सेल्फ़ हेल्प ग्रुप का हिस्सा हैं. 

इस रेस्टोरेंट की आठ शाखाएं डांग में हैं. पांच नवसारी और वलसाड़ में भी.   

ये रेस्टोरेंट अब प्रति महीने 50,000 कमा लेता है. 

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हाल ही में नहरी रेस्टोरेंट ने फ़ूड ट्रक भी स्टार्ट किया है. ये ट्रक हर दिन उस जगह जाता है जहां साप्ताहिक बाज़ार लगता है.   

ज़िले के बड़े अफ़सर अब इस रेस्टोरेंट की कई जगह और शाखाएं खोलना चाहते हैं साथ ही इस पर रुपये लगाकर इसे और आकर्षित बनाना चाहते हैं. 

यहां एक ही तरह का खाना मिलता है. आदिवासी ‘डांगी थाली’ जिसमे चावल, हरी सब्जियां, काली दाल, बांस का आचार, हरी चटनी और लाल मिर्च होती है.