किताबों में अक्सर आपने पढ़ा होगा कि समंदर में होने वाली किसी भी हलचल के बारे में मछली को सबसे पहले पता चल जाता है. हालांकि ये बात कितनी सच है और कितनी झूठ, इसके बारे में मछली ही जानती है. हालांकि जानवरों के बारे में ऐसे ही न जाने कितने मिथक हैं, जिन्हें हम सालों से सच मानते आ रहे हैं. अख़बारों के एडिटोरियल पेज से ले कर ऑनलाइन वेबसाइट तक आप ऐसे ही कई मिथकों के बारे में पढ़ चुके होंगे. ये मिथ्स हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन चुके हैं कि कई बार समझ ही नहीं आता कि क्या सच है और क्या झूठ?

आज हम आपके लिए जानवरों से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथक ले कर आये हैं, जो सुनने में भले ही झूठ लगते हों, लेकिन ये 100 परसेंट सही हैं.

कुत्ते कैंसर को पहचान सकते हैं.

कुत्तों की सूंघने की शक्ति के बारे में तो आप जानते ही होंगे. इसी सूंघने की शक्ति की वजह से कुत्तों का इस्तेमाल सुरक्षा व्यवस्था में भी किया जाता है. इसके अलावा उनकी ये ख़ासियत उन्हें कैंसर को पहचानने में भी सक्षम बनाती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में कुत्ते 98 फ़ीसदी सही साबित हुए हैं.

जानवर भूकंप को पहले ही भांप लेते हैं.

प्राचीन ग्रीक कहानियों में ऐसे कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो साबित करते हैं कि जानवरों को भूकंप का अंदाज़ा पहले ही हो जाता है. वैज्ञानिक भी इन ग्रीक कहानियों से सहमत नज़र आते हैं, इसके पीछे उनका तर्क है कि जानवर वातावरण और ऑक्सीडाइज़ेशन में मौजूद हल्की-सी भी हलचल को महसूस कर सकते हैं.

हाथी कभी नहीं भूलता?

हाथियों का दिमाग सिर्फ़ दिखने में ही बड़ा नहीं है, बल्कि याददाश्त के मामले में भी वो हम इंसानों से बहुत आगे हैं. हाथियों के दिमाग पर हुई रिसर्च कहती है कि हाथी लंबे समय तक किसी भी शख़्स को याद रखते हैं और सालों बाद भी उसे पहचान लेते हैं. अपनी इसी काबिलियत के बल पर हाथी खतरे को भांप लेते हैं.

मगरमछ के आंसू

‘मगरमछ के आंसू’ वाली कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी, जो किसी के बनावटी रोने को दर्शाती है. इस कहावत के बारे में कहा जाता है कि मगरमछ अपने शिकार को खाने के दौरान रोता है. इस बात पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि असल में मगरमछ जब अपने शिकार को खाता है, तो उसके जबड़ों पर दवाब पड़ता है, जिसकी वजह से उसकी आंखों से द्रव निकलने लगता है.

मुर्गी खुद को मुर्गे में बदल सकते हैं.

मुर्गियों में एक प्रजनन अंग बायीं तरफ़ होता है, जिसे Ovary कहते हैं. ऐसा ही एक अंग गांठ की शक्ल में दायीं तरफ़ रहता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि जब Ovary किसी सूरत में बेकार हो जाती है, तो गांठ वाला हिस्सा ज़्यादा प्रभावी हो जाता है और इस वजह से मुर्गी, काफ़ी हद तक मुर्गे जैसी दिखने लगती है. लेकिन वो बच्चे नहीं पैदा कर सकती.

Koala में इंसानों की तरह फिंगर प्रिंट होते हैं.

कई सालों तक इस पर रिसर्च इस परिणाम पर पहुंची कि ये बात सच है. वैज्ञानिकों का कहना है कि Koala के फिंगर प्रिंट्स इंसानों से इतने मिलते हैं कि उनमें फ़र्क कर पाना भी मुश्किल है.

चींटियों में Zombie होते हैं.

फ़िल्मों में इन्फेक्शन फ़ैलने से आपने लोगों को Zombie बनते देखा होगा. असल में ऐसा ही कुछ चींटियों के साथ भी होता है. इसमें डरने की कोई बात नहीं, क्योंकि ये इन्फ़ेक्शन एक ख़ास तरह के फ़ंगस की वजह से फैलता है. Zombie चीटियों की ज़िन्दगी ज़्यादा लंबी नहीं होती, दोपहर की तेज़ धूप इनकी मौत की वजह बन जाती है.