किसी और शहर से ज़्यादा ख़ूबसूरत शाम लखनऊ की होती है. लखनऊ शहर जो अपने मुगलई स्वाद की खुशबू पूरे देश में बिखेरता है. सूर्यास्त के बाद यहां के बाज़ारों में एक अलग रौनक देखने को मिलती है. लखनऊ उन लोगों के लिए और खास बन जाता है, जिनकी जान मुगलई स्वाद में बसती है. लखनऊ में मुस्कुराने की एक बड़ी वजह टुंडे के कबाब हैं. बाकियों की तरह मेरे भी दिल और ज़ुबान के बहुत करीब हैं ये.
कल जब इंटरनेट पर टुंडे कबाबी के बंद होने की ख़बर पढ़ी, तो मुझे भी झटका लगा. लोगों के टुंडे कबाबी पर पोस्ट देख कर और योगी फ़ैक्टर को इसकी वजह मान कर कुछ देर के लिए मैं भी इसे सच मान बैठा था. पर सच कुछ और था, जो काफ़ी देर बाद सामने आया.
योगी सरकार ने प्रदेश के गैर लाइसेंसी बूचड़ख़ानों पर ताले लगाए थे. जिसके कारण टुंडे कबाबी को बाकी दिनों की तरह बीफ़ पूरा नहीं पड़ा और मजबूरन उन्हें कुछ वक़्त के लिए अपनी दुकान बंद करनी पड़ी. हालांकि ख़बर फैलते ही ट्विटर पर कई लोगों ने इसका खंडन करते हुए टुंडे कबाबी के बाकी आउटलेट की तस्वीरें शेयर कीं, जो कि खुली हुई थीं.
Delhi is spreading rumors about Tundey Kebabi Aminabad being shut, It was closed for an hour due to shortage of raw material. #LivePictures pic.twitter.com/JV9mPlMwov
— Vedank Singh (@VedankSingh) March 23, 2017
Dear all, the Kapurthala one is open too..so please quit the maatam for Lucknawi cuisine ..#Lucknow #MeatBan https://t.co/MYkK3jLESs
— Dr Sumita Misra IAS (@sumitamisra) March 23, 2017
क्यों है टुंडे कबाबी के लिए बीफ़ इतना खास?
टुंडे के कबाब का अगर इतिहास देखें, तो ये सबसे पहले भोपाली नवाब के लिए बनाए गए थे, जिनके मुंह में दांत नहीं थे. कबाब को बेहद मुलायम बनाने के लिए शेफ़ हाजी मुराद अली ने उनके लिए अपने खास मसालों के साथ बड़े के कबाब बनाए. मटन के मुकाबले बीफ़ ज़्यादा मुलायम होता है. हाजी का ये नुस्ख़ा नवाब साहब को बेहद पसंद आया और पूरे प्रदेश में इस खास शेफ़ और उसके कबाब के चर्चे होने लगे. इस शेफ़ का एक हाथ नहीं था, कुछ वक़्त बाद 1905 में जब उसने अपनी कबाब की दुकान खोली, तो पूरे शहर में उसके कबाब ‘टुंडे के कबाब’ नाम से मशहूर हो गए.
जनाब मुस्कुराते रहिए, टुंडे कबाबी बंद नहीं हो रहा!
मायूस होने की कोई ज़रूरत नहीं है, टुंडे कबाब मिलना बंद नहीं हो रहे. हां आपकी मुस्कान थोड़ी कम ज़रूर हो सकती है, क्योंकि बीफ़ की कमी के कारण आपको मटन के कबाब मिलेंगे, जो कि बीफ़ के मुकाबले कम मुलायम होंगे. लेकिन टुंडे के सीक्रेट मसालों का स्वाद आज भी आपकी ज़ुबान पर पानी ला देगा!