बड़े- बुज़ुर्गों ने कहा है कि जब इंसान पैदा होता है तो उसकी मुट्ठी बंधी होती है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तब उसकी हथेली खाली होती है, उसके हाथ में कुछ नहीं होता. इसका सार गीता में समाया है, भगवान कृष्ण कहते हैं- तुम क्या लेकर आये थे, क्या लेकर जाओगे. किंतु जब इन दो कांकालों के बारे में आप जानेंगे, तो हक्के-बक्के रह जाएंगे.
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जर्मनी के म्युनिख में एक चर्च है Furstenfeld Abbey, जहां दो कंकालों को एक ग्लास बॉक्स में सुरक्षित रखा गया. इनकी खासियत ये है कि इनमें हीरे-जवहारात जड़े हुए हैं. ऊपर से नीचे तक आभूषणों से सजे हुए. ये दोनों कंकाल दो संतों के हैं, जो की सैकड़ों साल पुराने हैं.
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एक हैं संत Hyacinth, जिनके बारे में कहानी ये है कि इनकी हत्या रोम में 108 AD इसलिए कर दी गई क्योंकि संत Hyacinth रोमन देवताओं की पूजा न कर के इसाई पद्धति की ज़िंदगी जीने लगे थे. क़ैद में उन्हें जान-बुझ कर ऐसा खाना दिया जाता था, जिसे इंसाइ निष्ठा के अनुसार खाने की मनाही है. संत ने खाना खाने से बेहतर अपने प्राण त्यागना उचित समझा.
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दूसरा कंकाल है संत Clemens की, इनकी भी हत्या रोमन सम्राज्य के द्वारा 95 AD में इंसाइयत को अपनाने की वजह से हुई थी. इनके सिर को कलम कर दिया गया था.