कहते हैं कि जब तक किसी बात को अपनी आंखों के सामने न देखो, तब तक उस पर विश्वास न करो. अब सोचिये आपकी आंखे ही आपको धोखा देने लग जाए, तो कैसा महसूस करेंगे आप?

क्या कहा ऐसा हो ही नहीं सकता?

अच्छा चलिए इस तस्वीर को गौर से देखिये और बताइये कि इसमें दिखाई देने वाली कौन-सी मेज बड़ी है?

आसान लग रहा है न! पर आसान होता, तो हम पूछते?

आराम से सोच लो, कोई जल्दी नहीं है. हम भी यही बैठे हैं. क्या हुआ सोच लिया?

क्या कहा राइट साइड वाली मेज बड़ी है? नहीं लेफ़्ट वाली?

क्या यार एक बार डिसाइड कर लो.

रहने दो, तुमसे न हो पायेगा.

अरे अक्लबंदों इन मेजों में कोई छोटी-बड़ी नहीं है, बल्कि दोनों एक ही साइज के हैं दोस्त.

नहीं मानते, तो आगे पढ़ो, पढ़ने के नाम पर इतना डरते क्यों हो? थोड़ी न एग्ज़ाम की तैयारी करवा रहे हैं, जानकारी ही दे रहे हैं.

दरअसल, ये एक पहेली है, जिसे 1981 में Roger Shepard ने आंखों को भर्मित करने के लिए बनाया था. इस पहेली को बनाने के लिए Shepard ने बस मेज के पांव को अलग-अलग तरह से खड़ा किया.

हाल ही में ये पहेली एक बार फिर Reddit पर ट्रेंड होने लगी थी. Shepard के मुताबिक जब आप इन मेजों के पांव को निकाल कर एक-दूसरे के ऊपर रखते हैं, तो दोनों का साइज एक ही होता है.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के न्यूरल साइंस डिपार्टमेंट के शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘हमारा दिमाग 3D तस्वीरों को देखने का आदी होता है, जब इसके सामने 2D इमेज आती है, तो उसे ये पहचान नहीं पाता.’