मछली पकड़ना एक कला है और इस कला में सबसे आगे हैं जापानी. क्योंकि वहां जाल या कांटे(Fishing Rod) से नहीं, बल्कि पक्षियों की मदद से मछलियां पकड़ी जाती हैं. इस अनोखी टेक्नीक का नाम है उकाई, जो मछली पकड़ने की जापानियों की एक पारंपरिक कला है. 1300 साल पुराना है इसका इतिहास.

उकाई (Cormorant Fishing) रात के अंधेरे में मछली पकड़ने की एक टेक्नीक है. इसके लिए जलकौवों (Cormorant) को 2-3 वर्षों तक ट्रेन किया जाता है. इसके बाद मछुआरे रात को अपनी नाव में उन्हें लेकर मछली पकड़ने निकलते हैं. नदी के बीच में पहुंचकर मछुआरे जलकौवों को रस्सी से बांध कर पानी में छोड़ देते हैं.

नाव में जलती रोशनी की तरफ़ मछलियां आकर्षित होती हैं और जलकौवे आसानी से उनका शिकार करते हैं. जलकौवों को ऐसे ट्रेन किया जाता है कि वो मछली को गले में रखें, उन्हें खाएं नहीं. कुछ देर बाद मछुआरे जलकौवों को नाव पर खींचते हैं और उनके गले से मछली निकाल लेते हैं. 

जापान के अलावा मछली पकड़ने की ये तकनीक चीन में भी काफ़ी प्रसिद्ध है. उकाई के लिए मछुआरे गर्मियों में निकलते हैं. ये जापान की नगरगवा, उजी, और होजू नदियों में की जाती है. हालांकि धीरे-धीरे ये कला ख़त्म होती जा रही है क्योंकि उकाई की मदद से मछली पकड़ना अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है. मार्केट में आई मछली पकड़ने की नई-नई तकनीक ने इसे पीछे छोड़ दिया है. 

South China Morning Post

इसलिए जापानी सरकार इस ट्रेडिशन को बचाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए जापान सरकार जलकौवों से मछली पकड़ने वालों को पेंशन भी देती हैं. साथ ही इसकी तरफ़ पर्यटकों को भी आकर्षित करने की कोशिश में जुटी हुई है.