पिछले हफ़्ते एक फ़िल्म आई थी, हिचकी. ज़्यादा अच्छे रेटिंग्स नहीं मिले उस फ़िल्म को, पर उस फ़िल्म में शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर बात की गई. एक मुद्दा था, शिक्षण विधि या Teaching Methods पर. शिक्षिका नैना माथुर(रानी मुखर्जी) कभी प्लेग्राउंड, तो कभी स्पोर्ट्स रूम में बच्चों की क्लास लेती थीं. कुछ न सीखने वाले बच्चे, साल के अंत तक काफ़ी कुछ सीखने लग जाते हैं और सफ़ल होते हैं.
ये बात फ़िल्मी ज़रूर है, पर असल ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसा ही होता है. ज़बरदस्ती, बेंत के दम पर पढ़ाने के बजाए, बच्चों को अगर-अलग तरीके से पढ़ाया जाये तो बच्चे ज़्यादा सीखते हैं.
बहुत से टीचर्स को ऐसा लगता है कि खेल-कूद या नृत्य-संगीत से बच्चे की शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है लेकिन असल में ये सब आपस में जुड़े हुए हैं.
बहुत से शिक्षकों ने अपने स्तर पर Experiments करके देखे और पाया कि Practical के साथ पढ़ाने से बच्चे ज़्यादा सीखते हैं. बोरिंग पाठ को अगर सुरों में पिरो दिया जाये, तो वो दिमाग़ में ज़्यादा देर तक रहता है (गानों के बोल तुरंत याद होते हैं न?)
देश में कुछ शिक्षक हैं, जो पढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं दिलचस्प तरीके-
1) अभिनय गीत द्वारा बनसकांठा के एक गांव में सोशल साइंस और हिन्दी पढ़ाते रोहित पटेल
रोहित ने TOI को बताया कि ‘अभिनय गीत’ द्वारा पढ़ाना B.Ed कोर्स में भी है, पर कुछ ही शिक्षक इसे असल जीवन में इस्तेमाल करते हैं.
2) English Grammar पढ़ाने के लिए इस शिक्षक ने लिया संगीत और नृत्य का सहारा
वीडियो असल में कहां का है, ये तो पता नहीं पर पढ़ाने का ये तरीका बेजोड़ है.
3) पहाड़े याद करना, पर ठुमकों के साथ
वीडियो में शिक्षक नहीं है, पर Hats Off उसे, जिसने इन बच्चों को सिखाने का ऐसा गज़ब तरीका निकाला है.
4) डफ़ली की थाप पर बच्चों को पहाड़े याद करवाता एक कश्मीरी शिक्षक
Who wouldn’t want to go back to such a class. A Kashmiri teacher makes his pupils learn maths tables in an idiomatic way. pic.twitter.com/4CORg1YulT
— Shuja-ul-haq (@ShujaUH) March 18, 2018
वीडियो देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ज़रा सी मस्ती के साथ पढ़ाने से बच्चे ज़्यादा सीखते हैं.
5) डीडी नेशनल के प्रोग्राम ‘तरंग’ पर अरविंद गुप्ता की क्लास
80 और 90 के दशक के बच्चों को ‘तरंग’ प्रोग्राम याद होगा. अरविंद सर अलग-अलग तरीकों से बेसिक साइंस के Lessons देते थे. अब उनका YouTube चैनल है, जिसके द्वारा बच्चे सीख सकते हैं.
6) रेखाओं से A-Z लिखना सिखाते ये गुरूजी
गुरूजी किस स्कूल के हैं ये तो बताना मुश्किल है, पर अंग्रेज़ी अक्षर लिखना सिखाने का ये तरीका नायाब है.
बचपन में सर्दियों में हमारे स्कूल के कुछ शिक्षक हमें मैदान में बैठकर पढ़ाते थे. अच्छा लगता था खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना. मस्ती भी होती थी और पढ़ाई भी.
अगर आप भी जानते हैं, पढ़ाने का अलग अंदाज़ अपनाने वाले शिक्षकों को, तो हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बतायें.