अक्सर पेशे भी परम्परागत तौर-तरीकों से बाहर नहीं आ पाते है, मगर हमेशा शांत रहने वाली एक दलित औरत जिनका नाम सुनीता है और जिन्होंने कहीं से पत्रकारिता की पढ़ाई भी नहीं की है ने सारी वर्जनाएं तोड़ दी हैं. 27 वर्षीय सुनीता की शादी 12वे वर्ष में ही हो गयी थी और उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन उनकी कहानी सबके लिए नज़ीर बन जाएगी. आज वो उन 40 महिला रिपोर्टरों में से एक हैं जो मिल कर खबर लहरिया नामक 8पेज का साप्ताहिक अखबार निकालती हैं और जिसे मुख्यतौर पर बिहार और उत्तरप्रदेश में पढ़ा जाता है.

उनका फंडा बहुत ही सिंपल है. वे मीडिया को गांव-घर तक ला रही हैं जो कि वास्तविक और साहसिक बदलाव है. 2002 में शुरु हुई इस यात्रा में अबतक 600 गांव,6000 प्रतियां और 80,000 पाठक जुड़ चुके हैं, और वो औरत जिन्होंने इसकी शुरुआत की थी उनका एजेंडा है कि किस प्रकार सबको सशक्त किया जाए.

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