बिना प्लास्टिक के अपनी ज़िन्दगी की कल्पना करना ही असंभव है. रसोईघर से लेकर मोबाईल फ़ोन तक, आज ज़्यादातर चीज़ों में प्लास्टिक होता ही है. हम प्लास्टिक का ‘अति-उपयोग’ तो बिना सोचे-समझे करते हैं पर एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 80% प्लास्टिक को ऐसे ही फेंक दिया जाता है और इसकी Recycling नहीं की जाती.

Hindustan Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये दीवार, 12 फ़ीट लंबी और 1500 फ़ीट चौड़ी है.
India CSR की रिपोर्ट मुताबिक ‘हिलदारी आंदोलन’ के तहत, मसूरी के केम्पटी फ़ॉल्स के पास 18 जून को इस दीवार का अनावरण किया गया.

म्यूज़ियम ऑफ़ गोवा के फ़ाउंडर, डॉ. सुबोध केरकर ने इस दीवार को डिज़ाइन किया है. मसूरी के स्कूल और कॉलेज के 50 बच्चों और बंगलो की कांडी नामक गांव की महिलाओं ने इस दीवार को बनाने में सहायता की.


हम उम्मीद करते हैं कि ‘उम्मीद की दीवार’ आम लोगों में प्लास्टिक को Reuse करने के लिए प्रेरित करेगी.