आज की दौड़ती-भागती ज़िन्दगी में जहां लोगों के पास अपने लिए ही टाइम नहीं है, वहां किसी और के बारे में कोई कैसे सोच सकता है. और ऐसी स्थिति कें लोग तनाव, चिंता और अवसाद यानी कि डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. वैसे तो योग, ध्यान करके व्यक्ति स्ट्रेस और डिप्रेशन को दूर करने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन सफ़लता हासिल नहीं होती है. पर आपकी इस समस्या का समाधान भी मिल गया है.

UK की एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जो लोग पक्षियों, झाड़ियों और पेड़ों को ज्यादा देखते हैं या जिनके घर के आस-पास हरियाली और पंछी ज़्यादा होते हैं, उनको डिप्रेशन, तनाव और चिंता जैसी समस्याओं का अनुभव कम होता है.

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इस अध्ययन में 100 से अधिक को शामिल किया. रिसर्च के दौरान उन सभी लोगों को लाभ मिला, जिनके घरों के आस-पास पेड़-पौधे, चिड़िया और पक्षी ज्यादा पाए जाते थे. वहीं वो लोग जो शहरी और हरियाली से दूर इलाकों में रहते थे उनमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन के लक्षण पाए गए.

इस शोध में अलग-अलग उम्र, जाति और आय और के 270 लोगों का मानसिक परिक्षण किया गया. शोध से ये रिजल्ट सामने आया कि जिन लोगों ने पिछले हफ्ते के मुकाबले घर से बाहर कम टाइम बिताया, उनमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन के ज्यादा लक्षण पाए गए.

UK की University of Exeter द्वारा किये गए इस शोध में शोधकर्ताओं ने आमतौर पर पाए जाने वाली चिड़ियों जैसे Blackbirds, Robins, Blue Tits और कौवों को भी शामिल किया.

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हालांकि, इस रिसर्च में ये तो सामने नहीं आया कि पक्षियों का मेंटल हेल्थ से क्या सम्बन्ध है, लेकिन ये बात ज़रुर सामने आई कि जो लोग अपनी खिड़कियों या पार्क में अपने आस-पास जितनी चिड़िया या पंछी दिखाई देते हैं, उनकी संख्या से ज़रूर को सम्बन्ध है.

इस शोध का हिस्सा रहने वाले University of Exeter के Dr. Daniel Cox ने बताया कि ये अध्ययन इस बात को ध्यान में रखकर शुरू किया गया था कि हमारी प्रकृति के प्रमुख घटकों का हमारी मानसिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका है.

शोधकर्ताओं को इस शोध में ये भी पता चला कि लोगों में डिप्रेशन, तनाव और चिंता कम होने का कुछ न कुछ सम्बन्ध उनके द्वारा दिन में देखे गए पक्षियों की संख्या से हो सकता है.

इसके साथ ही Cox कहते हैं कि घर के आस-पास पक्षी और प्रकृति, रोगमुक्त रखने में बेहद आश्चर्यजनक रूप से मदद करती है. प्रकृति ही है, जिसके कारण शहरों में होने वाले प्रदूष्ण के बावजूद भी हम स्वस्थ रह पाते हैं और खुशहाल ज़िन्दगी बिताते हैं.

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Source: hindustantimes