दीवाली में हर बार प्रदूषण होता है, दीवाली की अगली सुबह भारत प्रदूषण के चलते ख़ांसता हुआ जगता है. ये हम नहीं कह रहे हैं, आंकड़े कह रहे हैं. अब ये समस्या है मगर समस्या को यूं ही नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. समस्या है तो समाधान लाना ही पड़ेगा.
प्रदूषण की इसी समस्या से निपटने के लिए अक्टूबर 2019 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ‘ग्रीन पटाखों’ को लॉन्च किया था. ये पटाखे पूरी तरह से मेड इन इंडिया हैं.
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‘ग्रीन पटाखे’ कैसे होते हैं?
‘ग्रीन पटाखे’ राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने बनाये हैं. इन पटाखों से प्रदूषण कम होता है. आपको बताते चलें कि नीरी, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (CSIR) के अंदर आता है.
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इन पटाखों में Barium nitrate की जगह Potassium nitrate का इस्तेमाल होता है. जिससे पटाखों से निकलने वाली ख़तरनाक गैसें जैसे Nitrogen oxide और Sulfur dioxide कम मात्रा में निकलेंगी. हां, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि ये गैसें निकलें ही ना, बस ख़तरा थोड़ा कम हो जाएगा.
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ये पटाखे बाज़ार में QR कोड के साथ आते हैं ताकि पटाखे असली हैं या नकली इस बात का पता ख़रीददार को लग सके. दुनिया में कहीं भी इन पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इन पटाखों से भारत दुनिया को एक नयी राह भी दिखा सकता है.
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वैसे अगर आप उस वातावरण की, जिसमें आप सांस लेते हैं, ज़रा भी परवाह करते हैं तो पटाखे जलना कोई समझदारी का काम नहीं है. वैसे ये बात हम नहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कह रहे हैं.
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जिस हवा में आज हम सांस ले रहे हैं उसकी हालत कितनी ख़राब है ये किसी से छुपा नहीं है मगर फिर भी आप वातावरण को प्रदूषित करना ही चाहते हैं तो कोशिश करिये ‘ग्रीन पटाखे’ जलाने की.