ज़िंदगी का पहला स्कूल घर होता है और उस स्कूल की टीचर मां. उसके बाद हम स्कूल जाते हैं, जहां हम सबकुछ क़िताबों से पढ़ते हैं, दोस्त बनाते हैं, वो ज़िंदगी बहुत सीधी और सरल होती है. सुबह स्कूल जाओ, शाम को घर आओ, होमवर्क करो, खेलो और सो जाओ.
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जब स्कूल-कॉलेज ख़त्म होता है तो एक सवाल सबके मन में होता है अब क्या? इस सवाल के साथ दिमाग़ में स्कूल और कॉलेज के गेट के अंदर की पूरी ज़िंदगी घूम जाती है, क्योंकि ज़िंदगी शुरू ही अब होती है.
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इस दुनिया से बाहर निकल कर एक नई दुनिया से सामना होता है. ये दुनिया क़िताबों की दुनिया से अलग होती है, इसमें रोज़ संघर्ष होता है, रोज़ हार-जीत होती है. इसमें ऐसा बहुत कुछ होता है, जो क़िताबों ने कभी नहीं सिखाया था.
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हमने लोगों से ये सवाल पूछा कि ज़िंदगी ने उन्हें ऐसा क्या सिखाया, जो स्कूल या कॉलेज में नहीं सिखाया गया, तो लोगों ने अपने अनुभव शेयर करते हुए ये सब बताया:
1. ज़िंदगी ने जो सब्र सिखाया, वो स्कूल या कॉलेज या किसी क़िताब से सीखने को नहीं मिला.
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2. आप हर किसी को ख़ुश नहीं रख सकते, इसलिए मायूस होने की ज़रूरत नहीं.
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3. किसी से उधार तभी लो, जब उसे वापस करने की क्षमता हो.
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4. ख़ुशी सभी से बांटो लेकिन दुःख किसी-किसी को ही बताओ.
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5. कितने भी बिज़ी हो, जिनसे प्यार करते हो उन्हें इग्नोर मत करो.
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6. स्कूल और कॉलेज में तो रंगों का मतलब वॉटर कलर, वैक्स कलर और पेंसिल कलर होता था. मगर ज़िंदगी की धूप में गोरे से गोरा रंग भी काला हो जाता है. यहां लोगों के इतने रंग हैं, कि हमारे सारे रंग कम पड़ जाते हैं.
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7. स्कूल और कॉलेज में सिर्फ़ पढ़ाई होती है, लेकिन जीवन में ऐसी कई चीजें होती हैं, जो आप इन संस्थानों से नहीं, बल्कि लोगों से सीखते हैं. ये संस्थान आपकी समझ को बड़ा करने में आपकी मदद करते हैं. लेकिन असल ज़िंदगी बाहर ही है, जहां हम इंसानों को पहचानने के साथ-साथ धोखे भी खाते हैं, लेकिन उन धोखों में भी कैसे मस्ती के साथ ज़िंदगी को जीना है, वो सिर्फ़ जिंदगी ही सिखाती है.
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8. अक़्ल आने के लिए बादाम नहीं ठोकर खानी ज़रूरी है.
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9. ईमानदारी और सच्चाई हर जगह काम नहीं आती, ये आपको समस्याओं में भी डाल सकती है.
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10. फ़्रेंड्स फॉरएवर जैसी कोई चीज़ नहीं होती.
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