3 सितंबर, 2016 से पहले भारत में 6 राष्ट्रीय पार्टी हुआ करती थीं, उस दिन तृणमूल कांग्रेस को भारत की सातवीं राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला.  

लेकिन ये राष्ट्रीय पार्टी का मतलब क्या है, इसके फ़ायदे क्या हैं, ये बनती कैसे हैं, ये जानकारी बेहद दिलचस्प है. चूंकी चुनाव का मौसम है, तो ये शब्द भी आपको बारबर सुनने को मिलेगा.  

निर्वाचन प्रतीक(आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968  

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राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने का हक़ चुनाव आयोग के पास सुरक्षित होता है. निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के तहत ये पंजीकृत पार्टी को राष्ट्रीय और राज्य पार्टी का दर्जा देती है.ये पाने के लिए कुछ अहर्ताएं निर्धारित की गई हैं. इसे पाने के लिए कुछ अहर्ताएं निर्धारित की गई हैं.   

किसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?  

वर्तमान में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, CPI, CPI(M), NCP और TMC के पास राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा है.  

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निर्वाचन प्रतीक(आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के 6B अनुच्छेद के अनुसार, तीन में से किसी एक शर्त को पूरा करने पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है. ये शर्तें निम्नलिखित हैं-  

1. विधानसभा या आम चुनाव में पार्टी को चार या उससे ज़्यादा राज्यों में 6 % जायज़ वोट पड़े हों और कम से एक या एक से ज़्यादा राज्य में उन्हें 4 लोक सभा सीट पर जीत मिली हो.  

2. संसद की कुल सीटों की 2% सीटों पर पार्टी को जीत मिली, वर्तमान संख्या के अनुसार, ये 11 सीट मानी जाएंगी और ये जीत कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों में मिली हो.

3. पार्टी के पास कम से कम चार राज्यों में राज्य पार्टी का दर्जा प्राप्त हो.  

राष्ट्रीय पार्टी होने के फ़ायदे  

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जिसे भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाता है, उसको सबसे बड़ा फ़ायदा चुनाव चिन्ह के रूप में मिलता है. देशभर में उसके उम्मीदवारों को एक ही चुनाव चिन्ह मिलता है.  

साथ ही साथ, राष्ट्रीय पार्टी को कार्यालय के लिए सस्ती ज़मीन, सरकारी सूचना संसाधनों के द्वारा मुफ़्त प्रचार करने का मौका आदि भी इसके लाभ का हिस्सा हैं.