Alpha, Bravo, Charlie ये शब्द आपने किसी एक्शन मूवी, गेम या फिर कॉमिक बुक्स में पढ़े या सुने होंगे. ये कोड्स हमारे देश की मिलिट्री के साथ ही अन्य देशों की सेनाएं भी इस्तेमाल करती हैं. लेकिन इनका मतलब क्या है और इन्हें क्यों बनाया गया? ये सवाल अकसर आपके ज़ेहन में आता होगा. इसी सवाल का जवाब आज हम आपके लिए ढूंढकर लाए हैं.
दरअसल, सेना को अकसर अपने दूसरे सैनिकों के साथ बात करने के लिए सैटेलाइट फ़ोन्स का इस्तेमाल करना पड़ता है. उनकी तैनाती भी कई बार दुर्गम क्षेत्रों में होती है. यहां पर सिग्नल बहुत कम होते हैं और बात करना आसान नहीं होता है.
जब सिग्नल कम होते हैं तो कई शब्द एक जैसे ही सुनाई देते हैं, जैसे अंग्रेज़ी के शब्द B और P. ऐसे में कोई भी ग़लत जानकारी घातक साबित हो सकती है. इसी से बचने के लिए इन कोड्स को बनाया गया है.
सेना के लिए हर शब्द के लिए एक विशेष वर्ड बनाया गया है. इन्हें Phonetic Alphabet कहा जाता है, जिसे ITU (International Telecommunication Union) ने बनाया है. इसकी एक झलक आप इस तस्वीर में देख सकते हैं:
कोई भी मिलिट्री ऑफ़िसर अपने जवानों से इन्हीं कोड्स के ज़रिये ही बात करता है. ऐसा इसलिए ताकि दुश्मन देश उनकी बातें सुन भी ले तो उन्हें कुछ समझ न आए. इन्हें पहली बार 1927 में पेश किया गया था.
इसके बाद इन कोड्स का इस्तेमाल Aviation इंडस्ट्री में भी होने लगा. पर तब कुछ भाषाओं में कुछ कोड्स का उच्चारण ठीक नहीं हो पाता था. इसलिए 1955 में Civil Aviation Organization (ICAO) ने एक नई बुकलेट बनाई. ये कुछ ऐसी दिखाई देती है:
वर्तमान में इन्हीं कोड्स का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इन कोड्स के बारे में जानते थे आप?