लाइफ़ में कई चीज़ें अक़सर हमसे लगातार टकराकर हमारा ध्यान अपनी ओर खींचती रहती है. सुबह स्कूल या ऑफिस जाने पर किसी ठेले वाले का निश्चित मोड़ पर आपसे टकराना, रोज इवनिंग वॉक या जिम जाने पर किसी ख़ास चेहरे का बार-बार दिखाई दे जाना. ऐसे ही आपने कभी घड़ी में वक़्त देखते हुए नोटिस किया कि जब भी आप देखते हो, तो घड़ी में 11:11 बज रहे होते हैं.
एक बार ऐसा होने के बाद बार-बार यह चीज़ रिपीट भी होने लगती है. ऐसे में ख़ास बात यह सामने आती है कि आप वैसे आमतौर पर घड़ी नहीं देखते हैं, लेकिन जब भी देखते हैं, तो घड़ी वो ही 11:11 आपको दिखा रही होती है.
क्या है माजरा
कई लोगों के साथ अक़सर ये चीज़ देखने को मिलती है. केवल 11:11 ही नहीं लोगों को दूसरे नम्बर्स भी रिपीटेड तरीके से दिखाई देते हैं. कई लोगों के साथ यह कुछ समय के लिए होता है, उसके बाद बंद हो जाता है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके साथ लगातार ये सीन देखने को मिलता है.
ख़ास बात यह है कि जब इस तरह आपको कोई रिपीट नम्बर दिखता है, तो फिर हर जगह आपको इस तरह की चीज़ें दिखने लगती है. इस समय भी कई लोगों को रिपीटेड नम्बर दिख रहे होंगे. कुछ लोग इसे बायोलॉजिकल क्लॉक से जोड़ कर देखते हैं. हमेशा इस तरह की चीज़ें रिपीट होते रहने से शरीर और दिमाग में इस तरह से तालमेल बैठ जाता है, कि अगले दिन उसी समय आपकी नज़र घड़ी पर चली जाती है, जिस समय कल गई थी. धीरे-धीरे आपको हर जगह इस तरीके की चीज़ें नज़र आने लगती है.
कुछ लोगों को 11:11 तो कुछ लोगों को 09:09 दिखाई देते हैं. कुछ लोगों को गाड़ियों के नम्बर भी रिपीटेशन में नज़र आने लगते हैं, जैसे कि 1313.
इसके पीछे जुड़े हैं कई सिद्धांत
इसे कुछ लोग मनोविज्ञान से जोड़ कर देखते हैं, तो कुछ लोग इसे मैथमेटिक्स और रीज़निंग से समझाने की कोशिश करते हैं.
संवेदनशीलता
इस तरह चीज़ों के निश्चित क्रम में टकराने पर आप अपने कुछ फ़ेवरेट नम्बर बना लेते हैं. उसके बाद यह नम्बर आपकी ज़िन्दगी से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. इस तरह इंसान हर चीज़ से इन्हें कनेक्ट करने की कोशिश करता है. हमारी संवेदनाएं इन नम्बरों से काफ़ी जुड़ जाती हैं.
उत्तेजना
जब इंसान को इस तरह बार-बार सेम नम्बर दिखाई देने लगते हैं, तो वो उनके अनेक अर्थ निकालने लगता है. इस तरह जब भी व्यक्ति इन नम्बरों से टकराता है, तो यह उसके शरीर में एक विशेष तरह की उत्तेजना पैदा करते हैं.
समानता
लोग इस तरह की समानता को आध्यात्मिक रूप से भी देखने लगते हैं. हमारा मस्तिष्क भी समानान्तर चीज़ों को देख कर ज़्यादा सहजता महसूस करता है, जैसे कि 11:11, 4:44, 12:34 या फिर 1:23. कुछ लोग इस तरह नम्बरों को अपने लिए भाग्यशाली भी मानने लगते हैं.
माया सभ्यता से भी जुड़ा है इसका कनेक्शन
प्राचीन मेक्सिकों में पाई जाने वाली 26 हज़ार साल पुरानी माया सभ्यता एस्ट्रोलॉजी के मामले में काफ़ी एडवांस थी. उनके द्वारा 21वीं सदी में साल 2012 की 21 दिसंबर को भी दुनिया के अंत का समय 11:11 ही बताया गया था. माया सभ्यता का कैलेंडर ‘कालों के बदलते क्रम’ पर आधारित था.
उसके अनुसार आने वाले नये कल में सब आपसी समानता के साथ नई शुरुआत करेंगे, जिसे यह 11:11 रिप्रजेंट करता है. इसके सभी अंक भी आपसी समानता के साथ है.
मनोविज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म मिल कर आंकड़ों के इस रिपीटेशन को काफ़ी दिलचस्प बनाते हैं. क्या आपकी ज़िन्दगी में भी कोई ख़ास नम्बर हर रोज टकराता है?