ज़्यादातर लोगों को गर्मियों का इंतज़ार इसलिये रहता है, ताकि उन्हें ख़ूब सारे अलग-अलग तरह के आम खाने को मिलें. अगर आपको नहीं पता है, तो बता दें कि हमारे देश में लगभग 1500 किस्मों के आम की खेती की जाती है. कमाल की बात ये है कि इन सभी आमों का स्वाद अलग और ग़ज़ब होता है. जैसे कि दशहरी, चौसा, अल्फांज़ो, तोता परी और लंगड़ा आम.
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वैसे, लंगड़ा आम से याद आया कि आम की इस वैरायटी का नाम कुछ अजीब नहीं है. मतलब किसी फल का नाम लंगड़ा कैसे हो सकता है और इस नाम की उत्पत्ति कैसे हुई? अगर आपके मन में भी कुछ ऐसा ही सवाल चल रहा है, तो अब इसका जवाब मिल गया है.
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लंगड़ा आम का इतिहास?
लंगड़ा आम के बारे में जब पदम् श्री हाज़ी कलीमुल्लाह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि लंगड़ा आम की खेती लगभग आज 250-300 वर्ष पहले बनारस यानि काशी में शुरू की गई थी. हाज़ी कलीमुल्लाह ने बताया कि सदियों पहले बनारस में एक लंगड़ा आदमी रहता था, जिसे उसके जानने वाले प्यार लंगड़ा कह कर बुलाते थे. वहीं एक बार उसी लंगड़े आदमी ने आम खाया और वो उसे इतना मीठा लगा कि आम गुठलियों को घर पर लगा दिया. कुछ समय बाद पेड़ पर आम आये, जो कि काफ़ी स्वादिष्ट थे.
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आम का स्वाद लोगों को अच्छा लगा, जिसके बाद सबने मिल कर उस शख़्स के नाम पर इसका नाम ‘लंगड़ा आम’ रख डाला. इसके साथ ही कलीमुल्लाह ने ये भी बताया कि वैसे तो पूरे भारत में लगभग हर जगह लंगड़ा आम की खेती की जाती है, पर बनारस के लंगड़ा आम की बात ही अलग है.
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कलीमुल्लाह जी पूरे देश में आमों की खेती करने के साथ-साथ, नई-नई प्रजातियों को विकसित करने के लिये जाने जाते हैं.