लगभग 117 साल पहले राइट बंधुओं ने एरोप्लेन से उड़ान भरी थी. तब उड़ान भरने के लिए उतने रूल्स नहीं थे, जितने की आज मौजूद हैं. जैसे टाइम पर चेक इन करना, बोर्डिंग पास बनवाना, उड़ान से पहले सीट बेल्ट बांधना आदि. ऐसे ही एक नियम की जांच-पड़ताल आज हम करने जा रहे हैं. जिन लोगों ने प्लेन से सफ़र किया होगा उन्होंने एक बात ज़रूर नोटिस की होगी, वो ये कि उड़ान भरने से पहले प्लेन की लाइट्स डिम कर दी जाती हैं. ऐसा क्यों होता इसकी भी एक बड़ी वजह है.
दरअसल, विमान को उड़ाने से पहले पायलट केबिन की लाइट को डिम कर देते हैं. ऐसा वो लैंडिंग करते समय भी करते. ये नियम सभी प्लेन्स के लिए बना है, जो सीधे हमारी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इस बारे में बात करते हुए एक पायलेट Patrick Smith ने टेलीग्राफ़ को बताया कि लाइट बंद करने के पीछे आंखें भी एक वजह हैं.
दरअसल, हमारी आंखों को अंधेरे से तालमेल बिठाने में 10-30 मिनट का समय लगता है. किसी इमरजेंसी में हवाई जहाज़ को सुरक्षित रूप से खाली करने में ये बहुत उपयोगी साबित होता है. ऐसे में लोगों को आपातकालीन दरवाज़े साफ़-साफ़ दिखाई देते हैं. ऐसे में यात्री को सुरक्षित जहाज़ से निकालने में मदद मिलती है.
एक दूसरी वजह ये है कि लैंडिंग और टेकऑफ़ के समय ही अधिकतर दुर्घटनाएं होती हैं. इसलिए प्लेन की रौशनी कम कर दिया जाता है, ताकि पायलट को अपना रास्ता स्पष्ट रूप से दिखाई दे.
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