लोग सोने जाते हुए या सोकर उठते हुए जम्हाई लेते नज़र आते हैं. जम्हाई को नींद आने या बोर होने से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन होता इसके उलट है, जम्हाई लेते इंसान की नींद आ नहीं, बल्कि जा रही होती है. शरीर नींद को दूर कर दिमाग को सक्रिय करने के लिए जम्हाई लेता है.

2013 में स्विट्ज़रलैंड के म्यूनिख में साइकियाट्रिक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने उबासी से जुड़ा एक प्रयोग किया. इसमें करीब तीन सौ लोगों को ऐसे वीडियो दिखाए गए जिनमें लोग सिर्फ़ उबासियां ले रहे थे. ये वीडियो देखने के दौरान दो सौ से ज़्यादा लोग ऐसे थे, जिन्होंने एक से पंद्रह बार तक उबासी ली. इस प्रयोग के दौरान पाया गया कि किसी को जम्हाई लेते हुए देखकर, देखने वाले में ह्यूमन मिरर न्यूरॉन सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. मिरर न्यूरॉन सिस्टम उन विशेष तंत्रिकाओं का समूह होता है, जो हमें दूसरों के क्रियाकलाप या व्यवहार की नक़ल करने के लिए प्रेरित करता है. इसी के चलते दो लोग मानसिक या भावनात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़ पाते हैं. बंदरों के नकलची होने के पीछे भी यही सिस्टम काम करता है.

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यह ठीक वैसा ही है जैसे चिड़ियों का एक ही समय पर उड़ान भरना. जम्हाई समानुभूति जताने का एक तरीका भी है. आप अपने करीबी लोगों की जम्हाई से ज़्यादा और जल्दी प्रभावित होते हैं. प्रयोग बताते हैं कि अगर आपका कोई रिश्तेदार उबासी ले रहा है, तो आपके भी उबासी लेने की संभावना ज्यादा होगी. आगे बढ़कर आपके दोस्त के साथ आप जल्दी उबासी भरेंगे बजाय किसी अनजान व्यक्ति के साथ उबासी लेने के.

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अकसर ही ओलिंपिक खिलाड़ियों को उनका खेल शुरू होने के पहले भी जम्हाते देखा गया है. अगर जम्हाई का संबंध नींद से होता, तो खिलाड़ियों का जम्हाई लेना संभव नहीं था. वास्तव में जम्हाई एक मानसिक स्थिति से निकल कर दूसरी मानसिक स्थिति में पहुंचने का सिग्नल है.