आज ‘नो स्मोकिंग डे’ है, पर आज हम आपको स्मोकिंग के बारे में वो सब नहीं बताएंगे, जो आपने कई बार सुना है और जानते भी हैं. स्मोकिंग से आपकी क्या हालत हो सकती है, ये तो आपको सिगरेट के पैकेट पर बनी फ़ोटो भी बता ही देती है, पर अगर उससे कोई फ़र्क पड़ना होता, तो अब तक इतनी बड़ी संख्या में दुनिया में स्मोकिंग करने वाले न पाए जाते.

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पापा स्मोकिंग करते हैं

मैं आपको बताना चाहूंगी कि वो लोग स्मोकिंग के बारे में क्या सोचते हैं, जो स्मोकिंग नहीं करते, पर अपने आस-पास के लोगों को रोज़ स्मोकिंग करते देखते हैं. मैंने बचपन से अपने पापा को स्मोकिंग करते देखा है. हमेशा सुना था कि ये हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होती, तो पापा की स्मोकिंग छुड़वाने के लिए मैंने और मेरे पूरे परिवार ने भर्सक कोशिशें कीं. जितने तरीकों के बारे में सुना था, सब आज़मा कर देख लिए, पर कोई ख़ास असर नहीं हुआ. एक बात और याद आती है मुझे कि स्मोकिंग की वजह से उनके पास से जो गंध आती थी, उसकी वजह से बचपन से ही उनके पास बैठना ज़्यादा पसंद नहीं था. वहीं, मम्मी के पास रहना बहुत अच्छा लगता था. शायद कहीं न कहीं ये भी वजह रही है, मम्मी से ज़्यादा करीब होने की. मैंने मम्मी को पापा की इस आदत से परेशान होते देखा है, इसकी वजह से उनके बीच झगड़े होते देखे हैं और देखी है पापा की बेबसी, इस आदत को न छोड़ पाने की. उन्हें ये सब सह लेना मंज़ूर था, बस इस धुएं के लिए.

कसमें-वादे

जब बड़ी हुई, तो कई लड़कियों को परेशान होते देखा क्योंकि उनके बॉयफ्रेंड स्मोकिंग करते थे. वो उन्हें तरह-तरह की कसमें दिलातीं. कुछ दिनों के लिए उन्हें लगता कि उनकी कसम की खातिर उसने ये आदत छोड़ दी है, पर कुछ ही दिनों बाद ये भ्रम दूर हो जाता. वैसे एक बात तो है, अगर किसी की कसम तोड़ने से वो इंसान मरता होता, तो स्मोकिंग करने वालों की ज़िन्दगी में लोग ही नहीं बचते.
अब काम करने लगी हूं, तो अपने कलीग्स को देखती हूं, काम के बीच समय चुरा कर ‘ताज़ी हवा’ फेंफड़ों में भरने जाते हुए. जब भी किसी को इस लत में जकड़े हुए देखती हूं, तो ख़ुशी होती है अपने इससे आज़ाद होने की और अफ़सोस होता है उन लोगों के लिए.

क्यों नहीं?

मुझे इस महंगाई के समय में आग लगाने के लिए रोज़ कुछ पैसे नहीं निकालने होते, बिज़ी दिनचर्या में धुएं में उड़ाने को समय नहीं निकालना होता, मेरे शरीर से वो धुएं की गंध नहीं आती, जिसके चलते शायद कल को मेरे बच्चे मेरे पास बैठना पसंद न करें. यकीन मानिए, जितने कारण आपके पास इस लत में पड़े रहने के हैं, उससे ज़्यादा फ़ायदे हैं इससे दूर होने में. इतना सब जान कर भी अगर आप ज़िन्दगी को धुआं बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए बस एक ही बात है ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’.
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स्मोकिंग आत्महत्या नहीं, बल्कि मर्डर है

स्मोकिंग आत्महत्या नहीं, बल्कि मर्डर है. जी हां, आपको जितना लगता है, पैसिव स्मोकिंग उससे कई ज़्यादा खतरनाक हो सकती है. पैसिव स्मोकिंग, यानि स्मोकिंग करने वालों के द्वारा निकला गया धुआं, स्मोकिंग न करने वालों द्वारा लिया जाना. स्मोकिंग कर के आप केवल खुद को ही नहीं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी नुकसान पहुंचा रहे होते हैं, इन लोगों में सबसे ज़्यादा खतरे पर होता है आपका परिवार और आपके बच्चे.

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WHO की रिपोर्ट के अनुसार, हर तीन में से एक इंसान दुनिया में स्मोकिंग करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पैसिव स्मोकिंग, जिसे सेकंड हैण्ड स्मोकिंग भी कहा जाता है, के द्वारा हर साल 6 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं. U.S. में तीन से ग्यारह साल की उम्र के हर दूसरे बच्चे के खून में पैसिव स्मोकिंग का असर पाया गया.

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मेरी एक साथी ने भी अपने अनुभव शेयर किये हैं

‘एक बार मार कर देख, सही लगेगा’

स्मोक करने की शुरुआत लगभग ऐसे ही होती है, फिर ये लत बन जाती है. लेकिन जो स्मोक करते हैं, उनके स्मोक करने के कई रीज़न होते हैं. किसी के लिए ये सोचने का ज़रिया है, कोई टेंशन दूर करने के लिए पीता है और किसी को ग्रुप में अकेले छूटने के डर से कश लगाना पड़ता है. मेरे दोस्तों में लगभग हर कोई स्मोक करता है, लड़के-लड़कियां, ऑफिस के Colleague भी. उन सबकी भी ऐसी ही कुछ वजहें हैं. शुरू-शुरू में मेरे लिए ये थोड़ा नया था, क्योंकि मुझे लगता था, जो स्मोक करते हैं, वो ग़लत लोग होते हैं. ये शायद इसलिए भी था क्योंकि घर में ऐसा सिखाया गया था कि ऐसे लोग सही नहीं होते. खैर, ये घरवालों का तरीका था. लेकिन जब इन लोगों के साथ उठना-बैठना हुआ, तो समझ आया कि सिगरेट पीना बुरी बात है, लेकिन सिगरेट पीने वाले बुरे नहीं.

‘तूने कभी नहीं पी? चल आज Try मार ले’

मैं पिछले 6 सालों से काम कर रही हूं और भले ही मेरे बहुत से जानने वाले स्मोक करते हैं, लेकिन मुझे कभी किसी ने पीने के लिए फ़ोर्स नहीं किया. न कभी किसी ने इस बात के लिए जज किया कि मैं क्यों नहीं पीती! मुझे लगता है ये इंसान पर निर्भर करता है कि वो कोई आदत (सही या ग़लत) अपनाना चाहता है या नहीं.

ज़रूरी नहीं, सिंगर का बेटा सिंगर बने और डॉक्टर का डॉक्टर!

मेरा दोस्त या जानने वाले स्मोक या ड्रिंक करते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि मैं भी करने लगूं. ये इंसान पर निर्भर करता है, कोई दूसरे की देखा-देखी करने के चक्कर में ऐसा करते हैं, और किसी को इस बात से बिलकुल फ़र्क नहीं पड़ता. मैं अपने अनुभव से ये दावे के साथ कह सकती हूं कि जब तक आप कोई काम नहीं करना चाहते, वो आपसे कोई नहीं करवा सकता, स्मोकिंग भी. इसलिए अगर आपने सिर्फ़ दूसरों की वजह से स्मोक करना शुरू किया है, तो ये उनकी नहीं आपकी ग़लती है. इतने सालों में मैं ये कह सकती हूं कि मैं हर तरह के लोगों के साथ दोस्ती और जान-पहचान रख चुकी हूं और आज तक कभी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया. Happy No Smoking 🙂
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दुनिया के 12% स्मोकर्स इंडिया में हैं. हर साल 9 लाख लोग इससे होने वाली बीमारियों के कारण ज़िन्दगी से जंग हार जाते हैं. हर सिगरेट में लगभग चार हज़ार ज़हरीले केमिकल होते हैं, इनमें से पचास से कैंसर होने का खतरा रहता है. ज़रा सोचिये, आप कैसे धीरे-धीरे अपने बच्चों को भी अपने साथ कैंसर के करीब धकेलते चले जा रहे हैं और एक मिनट रुक कर सोचिये कि क्या आपका शौक या लत आपके बच्चों की ज़िन्दगी से भी ज़्यादा कीमती है?

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Classic Milds और Gold Flake Kings का मज़ा, हो सकता है आप तक ही सीमित रहे, पर इसकी सज़ा आप तक सीमित नहीं रहती. सर्वे बताते हैं कि अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो इसकी सम्भावना भी बढ़ जाती है कि आपके बच्चों को भी आसानी से इसकी लत लग जाएगी.

रिसर्च बताती है कि कई लोग स्ट्रेस दूर करने के लिए सिगरेट पीते हैं, पर धीरे-धीरे हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाने की ये आदत, एक समय के बाद आपको भी धुआं बना देती है.