इस 26 जनवरी को भारत अपना 71वां ‘गणतंत्र दिवस’ मनाने जा रह है. साल 1950 में 26 जनवरी को भारतीय संविधान पहली बार अस्तित्व में आया था.
हालांकि, भारतीय संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को ही संविधान को अपना लिया था, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. आख़िर ऐसा क्यों किया गया? भारतीय संविधान हाथ से क्यों लिखा गया था? इसकी मूल प्रति एक गैस चेम्बर में क्यों रखी गयी है?
चलिए आज आपको भारतीय संविधान से जुड़े कुछ ऐसे ही दिलचस्प सवालों के जवाब भी दे ही देते हैं-
भारतीय संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही इसलिए चुना गया था, क्योंकि साल 1930 में इसी दिन ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था.
भारत का संविधान दुनिया का एकमात्र ऐसा संविधान है, जो कागज पर हाथ से लिखा हुआ है. संविधान के हर पन्ने पर सोने की पत्तियों की फ़्रेम बनी हुई है. साथ ही हर अध्याय के पहले पृष्ठ पर एक कलाकृति भी बनाई गई है.
अमेरिका ने अपने संविधान की मूल प्रति को एक गैस चेम्बर में सुरक्षित करके रखा है. अमेरिका के एक पेज के संविधान को वॉशिंगटन स्थित ‘लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस’ में हीलियम गैस के एक चेम्बर में रखा गया है.
संविधान की मूल प्रति गैस चेम्बर में क्यों रखी गयी है?
अमेरिका की राह पर चलते हुए भारत ने भी साल 1994 में संविधान की मूल प्रति को गैस चेंबर में रखने का फैसला किया. इसके बाद भारत की ‘नेशनल फ़िजिकल लेबोरेटरी’ और अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट के बीच करार हुए के बाद भारत में भी इसी तरह का एक गैस चेंबर बनाया गया.
संविधान की मूल प्रति को पहले फ़लालेन के कपड़े में लपेटकर एक नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा गया था. इसके बाद साल 1994 में इसे संसद भवन के पुस्तकालय में वैज्ञानिक विधि से तैयार एक गैस चेम्बर में सुरक्षित कर दिया गया था.
आकार में बड़ा और भारी है भारतीय संविधान
इस दौरान कागज की सुरक्षा के लिए ऐसी गैस की आवश्यकता थी, जो नॉन-रिएक्टिव (गैस के साथ प्रतिक्रिया न करे) हो. नाइट्रोजन एक ऐसी ही गैस है. पहले ये चेम्बर हीलियम गैस से बनाया गया था. लेकिन हीलियम गैस रोकने की नाकाम कोशिशों के बाद इसे नाइट्रोजन गैस चेम्बर में तब्दील कर दिया गया था.
भारतीय संविधान को काली स्याही से लिखा गया है. जो आसानी से उड़ (ऑक्सीडाइज) जाती है. इसे बचाने के लिए ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आस-पास रखने की ज़रूरत थी. इसलिए भारतीय संविधान के लिए एयरटाइट चेंबर बनाया गया.
इस गैस चेंबर में ह्युमिडिटी बनाए रखने के लिए मॉनिटर लगाए गए हैं. हर साल चेंबर की नाइट्रोजन गैस खाली की जाती है. इस चेम्बर की हर दो महीने में चेकिंग भी की जाती है. सीसीटीवी कैमरे से इस पर लगातार निगरानी रहती है.