कुछ दिनों पहले एक दोस्त से बात हो रही थी. वो रात में अपने एक डरावने सपने के बारे में बता रही थी. उसने सपने में देखा था कि उसके घरवाले एक सफ़ेद चादर में लिपटी लाश के सामने खड़े हैं और शोक मना रहे हैं. सपने में उसने लाश की शक़्ल देखी थी पर दिमाग़ पर बहुत ज़्यादा ज़ोर डालने पर भी उसे शक़्ल याद नहीं आई.

कुछ लोग आसानी से सपने याद रख लेते हैं, वहीं कुछ लोग दिमाग़ के हज़ार घोड़े दौड़ा लें पर उन्हें याद नहीं रहता.

जब हम सोने जाते हैं तो हमारा दिमाग़ 4 अलग Mental States से गुज़रता है. फ़ाइनल स्टेज, REM या Rapid Eye Movement के दौरान हमारा दिमाग़ सपना देखने लगता है. REM नींद के दौरान हमारी पलकें तेज़ी से फड़फड़ाती हैं, दिल की धड़कन धीमी हो जाती हैं और शरीर एक Paralyzed State में चला जाता है. इस स्टेज पर हमारे शरीर में दो केमिकल्स का लेवल बदलता है.

जब हम सोने जाते हैं या अलार्म से उठते हैं तो इन केमिकल्स की मात्रा तेज़ी से बढ़ती है जिससे सपने याद रखने की क्षमता कम हो जाती है. कभी-कभी हमारा दिमाग़ इसलिए भी याद नहीं रखता क्योंकि ये उतने एक्साइटिंग नहीं होते.