अक्सर लोगों को ग़लत वक़्त पर ग़लत जगह हंसी आ जाती है. जैसे मान लीजिए, किसी की मय्यत पर या किसी की विदाई पर.


 बाक़ी लोग ऐसी लोगों को घूरते रहते हैं और ऐसे लोगों से अपनी हंसी कन्ट्रोल नहीं होती. तो आख़िर ऐसा क्यों होता है?

Tenor
हम सब ऐसा करते हैं, सबने ऐसा किया है, कई बार किया है. ये बहुत कॉम्प्लिकेटेड है. आप टेंशन वाले किसी विषय पर बात कर रहे हों और आपकी बॉडी हंसकर इस पर रेस्पॉन्ड करे. 

-Steve Ellen

Ellen का मानना है कि Nervous हंसी Anxiety या Tension के प्रति हमारा Psychological Response है. 

हमारी बॉडी टेंशन कम करने के लिए पहले हमें हंसाती है, हम हंसना ना भी चाहें और सीरियस रहना चाहें तो भी हंसी निकल जाती है. 

-Steve Ellen

Daily Mail

Steve Ellen की बात का समर्थन किया है University of Sussex के PhD Researcher, Jordan Raine ने. Raine कहते हैं कि बेवक़्त हंसाकर हमारा दिमाग़ हमारी Tension कम करता है. Raine ने Pseudobulbar Affect के बारे में भी बताया है. Multiple Sclerosis और Dementia के शिकार व्यक्तियों को अक़सर बेवजह और बिना कन्ट्रोल के हंसी आती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जो बेवक़्त हंसते हैं उन्हें कोई दिमाग़ी बीमारी है.


स्वस्थ लोग बेवक़्त इसलिए हंसते हैं क्योंकि उनके दिमाग़ में रस्साकशी जैसा कुछ होता है. मतलब सीरियस सिचुएशन में हम काफ़ी टेन्स्ड होते हैं पर दिमाग़ थोड़ा कन्फ़्यूज़ हो जाता है कि कैसे रिएक्ट करना है और टेंशन कम करने के लिए हमारी बॉडी हंस देती है.  

अब बेवक़्त हंसने वालों को जज करना और पागल कहना छोड़ देना.