हम अक़सर कहते हैं, बचपन ही अच्छा था. कोई बड़ी परेशानी आती है और हमें किसी कारणवश उसका समाधान नहीं मिलता, तो यही भावना आती है, ‘बचपन ही अच्छा था’. अगर मैं अपनी बात करूं, तो मुझे तो कभी-कभी बच्चों से जलन भी होने लगती है.

बचपन सच में बेहतर था. बेफ़िक्री थी, डर तो जैसे था ही नहीं, पापा हैं न सब दिला देंगे वाला Confidence अलग. इन सबके अलावा बचपन की सबसे अच्छी बात क्या थी, जानते हैं?

Steemit

सपने… ख़्वाब… Dreams

बातें ख़्वाबों की

मन का Rewind Mode On करिए और कुछ साल पीछे जाइये. कहां तक पहुंचे? स्कूल तक पहुंचे? अब थोड़ा और पीछे जाइये 4-5वीं कक्षा तक. बस, बस…

अब सोचिये 4-5वीं कक्षा के अपने ख़्वाबों के बारे में… नहीं किसी को बताना नहीं है, सोचिये. हंसी आई न? क्या आप आज वहीं हैं, जो आप तब बनना चाहते थे? अगर हां तो बहुत अच्छा और अगर नहीं तो भी बहुत अच्छा.

Corey Kope

क्यों छोड़ दिया ख़्वाब देखना?

ख़्वाब देखते तो थे? अब क्या हो गया? रुक क्यों गए? रात में सोते हुए ही सपने क्यों देखते हैं? खुली आंखों वाले सपनों का क्या हुआ?

9-5 की नौकरी, घर की ज़िम्मेदारियों और एक अच्छी-ख़ुशहाल लाइफ़ के पीछे भागते-भागते हम कहीं न कहीं सपने देखना ही भूल गए हैं.

कुछ लोगों के बचपन वाले सपने

अपने आस-पास के कुछ लोगों से हमने पूछे उनके बचपन के सपने, आप भी पढ़िए और देखिए कि इनमें कितनी विविधता, कितनी बेफ़िक्री थी.

राशि- पायलट

बचपन में हवाई जहाज़ को आसमान में देखना बहुत पसंद था और मैं बड़ी होकर यही करना चाहती थी. ख़ैर वो बचपन की बात थी.

आकांक्षा- नेवी ऑफ़िसर

समुद्र के उस पार क्या है, ये देखना था.

महिपाल- एयरफ़ोर्स पायलट

मुझे लगता था कि दुश्मनों से लड़ने के लिए ये सबसे अच्छा हथियार है.

संचिता- जानवरों का डॉक्टर

क्योंकि मुझे जानवर बहुत ज़्यादा प्यारे लगते थे.

कुंदन- जज

मुझे फ़िल्मों में दिखाए जाने वाले जज का रुतबा आकर्षित करता था.

Barnorama

नबील- सॉफ़्टवेयर इंजीनियर

बड़े भैया बन चुके थे और उनकी तारीफ़ होती थी.

आकांक्षा- डांसर

मुझे लगता था कि डांसर बनने पर मैं हीरो-हीरोइन से मिल सकूंगी.

जय प्रकाश- डॉक्टर

गांव में चिकित्सा की सुविधा नहीं थी, इसलिये मैं डॉक्टर बनना चाहता था.

Keep Thrifty

अमित- ट्रक ड्राइवर

मुझे लगता था कि ट्रक ड्राइवर के पास सबसे ज़्यादा आज़ादी होती है.

पूजा-हाउस वाइफ़

मुझे लगता था कि हाउस वाइफ़ की ज़िन्दगी सबसे आसान होती है.

अंजना- डॉन

मुझे लगता था कि डॉन, पुलिस से भी Powerful होते हैं और वो किसी को भी पीट सकते हैं.

इन लोगों में से कोई इंजीनियर, कोई पत्रकार, कोई CA है. मतलब सभी अपनी-अपनी ज़िन्दगियों में कुछ न कुछ कर ही रहे हैं. बस फ़र्क इतना सा है कि जो अल्हड़ ख़्वाब देखे थे वो कहीं गुम हो गए और सभी Stable Life की ओर बढ़ चले.

Gifer

ख़्वाब देखना ज़रूरी है

जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, ख़्वाबों का दायरा भी घटता गया. हमारे सपने Realistic और Practical होने लगे. हम Future Planning में मशगूल हो गए और ख़्वाब भी संभल-संभलकर देखने लगे.

ऐसा क्यों? दुनिया के सफ़लतम लोगों ने वो रास्ता अपनाया जो किसी ने नहीं अपनाया था. बिल्कुल अलग ख़्वाब देखा और उसे सच कर दिखाया.

और तो क्या थे बेचने के लिए,

अपनी आंखों के ख़्वाब बेचे हैं

जॉन एलिया के ये लफ़्ज़ कितने ही सही बैठते हैं न?

कुछ बनने के लिए हमने ख़्वाबों का सौदा तो कर लिया, पर ख़्वाब देखना क्यों छोड़ दिया? सोचिये और अपने विचार कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखिए.