कुछ लोग ज़िंदगी अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए जीते हैं. एक कपल ऐसा है, जिसने अपनी आधी ज़िंदगी जंगल की देखभाल करने में गुज़ार दी. आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन हकीकत यही है. हम बात करे रहे हैं, देश की पहली ‘प्राइवेट’ वाइल्ड लाइफ़ सैंक्चुअरी के बारे में, जो एक NRI कपल ने बसाई है. वह 26 साल पहले तक 55 एकड़ का वेस्ट लैंड था, लेकिन आज यह 300 एकड़ में बसी शानदार जगह है.
यहां सैंक्चुअरी में आज पक्षियों की 200 से ज़्यादा प्रजातियां हैं. यहां एशिया के हाथी और बंगाल के टाइगर्स की प्रजातियां भी मौजूद हैं. वहीं कुछ पेड़-पौधे ऐसी भी हैं, जिनका जन्म यहीं हुआ है. हाथी, बाघ, चीते, हिरण, सांप और दूसरे जंगली जानवर भी यहां ख़ुशहाली के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

1991 में अनिल और उनकी वाइफ़ पामेला कनार्टक के कोडागू जिले आए थे. अनिल और पामेला साई सैंक्चुअरी ट्रस्ट के बैनर तले Save Animal Initiative चलाते थे. इस बारे में अनिल बताते हैं, ‘हमें ये ज़मीन बेकार समझ कर बेच दी गई थी, लेकिन मैं ज़मीन देखते ही समझ गया कि ये ज़मीन बहुत उपयोगी है. इस वेस्ट लैंड को और बेहतर बनाया जा सकता है’.
कोडागू के ब्रह्मगिरी रेंज में स्थित बंजर ज़मीन को हरियाली भरा बनाने के लिए अनिल और उनकी वाइफ़ पामेला को काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. इस बारे में पमेला कहती हैं, ‘मुझे जंगल और जीव-जन्तुओं का ख़्याल रखने में काफ़ी आनंद आता है. इससे बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं.’
आइए अब आपको दिखाते हैं साई सैंक्चुअरी की तस्वीरें, जिन्हें देखने के बाद आप यहां Visit किए बिना नहीं रह पाएंगे.
1. बेकार और बदहाल थी ज़मीन

2. अनिल और पामेला ने इसे बदलने की ठानी

3. 1991 में साई सैंक्चुअरी की स्थापना की गई

4. आज 300 एकड़ में बसी शानदार जगह है

5. 200 से अधिक वन्य जीव हैं यहां

6. कितने ख़ुश नज़र आ रहे हैं अनिल और पमेला

7. आज इस ज़मीन पर चाय, कॉफ़ी और इलाइची की खेती भी होती है

8. ये देखने के बाद मन ख़ुश हो गया

9. एक बार Experience करना तो बनता है

10. ऐसे दृश्य किताबों में ही देखने को मिलते हैं

11. पमेला, आपकी मेहनत अभी और रंग लाएगी

12. तो कब जा रहे हैं यंहा?

13. वाकई हिम्मत वाला काम है ये
