साल का सबसे पहला महीना जनवरी भारत में अनेक राज्यों में त्योहारों की बहार लेकर आता है. देश के अधिकतर हिस्सों में इस समय सर्दी की फ़सल कटने की ख़ुशी के साथ ही सूर्य के अपनी कक्षा बदलने की घटना को लेकर यह त्योहार मनाये जाते हैं. इस समय देश के अनेक राज्यों में लोहड़ी, पोंगल, मकर सक्रांति और बिहू जैसे कई त्योहार मनाये जाते हैं. फ़सल के पकने की ख़ुशी में शुरू हुए ये सभी त्योहार धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार करते हुए आज देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृतियों का अहम हिस्सा बन गये हैं. इन सभी त्योहारों का धार्मिक और सामाजिक महत्त्व होने के साथ-साथ एक स्वास्थ्य से जुड़ा महत्त्व भी है.
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ये सभी त्योहार और इनमें निभाए जाने वाले रीति-रिवाज़ों का हमारे स्वास्थ्य से भी गहरा जुड़ाव है. हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू किये गये ये सभी त्योहार हमारे लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य की सौगात भी लेकर आते हैं.
खिचड़ी और चावल का महत्त्व
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उत्तर भारत से लेकर दक्षिण के अनेक क्षेत्रों में इस समय इन त्योहारों के माध्यम से खिचड़ी और चावल से जुड़े अनेक पकवान बनाये जाते हैं. इन दिनों में हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म रेट काफ़ी कम हो चुका होता है, इस दृष्टि से चावल जैसे पकवान शरीर के लिए काफ़ी सही रहते हैं.
देश के अलग-अलग हिस्सों में इस समय खिचड़ी बनाई जाती है, खिचड़ी स्वास्थ्य की दृष्टि से काफ़ी अच्छा भोजन है. कई जगहों पर मोटे अनाज की खिचड़ी बनाई जाती है, यह प्रोटीन और अमीनों एसिड से भरपूर भोजन होता है. इसके अलावा इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन और नियासिन भी पाया जाता है.
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खिचड़ी को हम इस सीजन में मनाये जाने वाले त्योहारों का एक तरह से ब्रांड एम्बेसेडर भी कह सकते हैं. खिचड़ी को एक तरह से चावल और दाल की शादी कहा जाये, तो कुछ गलत नहीं होगा. इस तरह के पौष्टिक भोजन से हमारा स्वास्थ्य इस बदलते मौसम में बेहतर बना रहता है. ‘थिंक ग्लोबल, ईट लोकल’ की यह परम्परा आज भी हमारे देश में बनी हुई है.
मूंगफली, पोपकोर्न और रेवड़ी जैसे खाद्य पदार्थ का भी है महत्त्व
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इस समय ठंड की वजह से इंसान के शरीर को काफ़ी मात्रा में गर्मी की आवश्यकता होती है. ऐसे में ये सभी खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जिन्हें आग में सेक कर बनाया जाता है. इससे हमें आग के नजदीक रहने का बहाना मिल जाता है. इसके साथ ही ये सभी खाद्य पदार्थ प्रोटीन और फ़ाइबर से भी भरपूर होते हैं, जो हमारे शरीर को आवश्यक गर्मी प्रदान करते हैं.
हमारे देश में विज्ञान और परम्पराओं का बेहतरीन गठजोड़ देखने को मिलता है
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जब पूरा विश्व स्वास्थ्य से जुड़े अनेक विषयों के बारे में सोच रहा था, उस समय के पहले से ही हमारे पूर्वजों द्वारा उन चीज़ों को धार्मिक और सामाजिक आस्थाओं से जोड़ कर परम्परा के रूप में निभाया जा रहा था. भारतीय संस्कृति में हमारे पूर्वजों ने परम्पराओं को वैज्ञानिक आधारों पर ही तय कर के समाज से जोड़ा है.