आम आदमी जब कहीं घूमने का मूड बनाता है, तो पहले सोचता है कि कुछ पैसे इकट्ठे हो जाएं. घूमने में वैसे भी पैसे ज़्यादा ख़र्च होते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जो ज़िन्दगी में कभी प्लान बना कर नहीं चलते. उन्हें जब जो अच्छा लगता है कर गुज़रते हैं. आन्ध्र प्रदेश के अनंतपुर में रहने वाले विमल कुमार ऐसे ही हैं.

Bhaskar

विमल इंजीनियर बनना चाह रहे थे, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी क्योंकि सिर पर घुमक्कड़ी का भूत चढ़ा था. घुमक्कड़ विमल ने 9 महीनों में 11 राज्य घूम लिए, वो भी बिना एक पैसा ख़र्च किये.

Bhaskar

उन्होंने अपनी ट्रेवेलिंग दूसरों की बाइक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ट्रक और ट्रेन से पूरी की.

विमल ने कॉलेज लाइफ़ में ही सोच लिया था कि उन्हें Traveler बनना है. वे एक माध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. जहां बुनियादी ज़रूरतों को पूरा कर पाना मुश्किल होता है, वहां घूमने के लिए पैसे कौन देता. लेकिन विमल को शुरू से कुछ न कुछ कमाने का शौक था. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना, शॉर्ट फ़िल्म बनाकर पैसे कमाना, विमल को अच्छा लगता था. विमल के लिए घुमक्कड़ी की राह आसान नहीं थी.

विमल ने डेढ़ साल तक घूमते रहने का प्लान बनाया था लेकिन किसी वजह से उनके परिवार को बेंगलुरु शिफ़्ट होना पड़ा. जिसकी वजह से उन्हें नौ महीने में ही अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ी.

विमल अपनी यात्रा के दौरान बहुत कुछ सीखते रहे. कहीं से किसानी सीखी, तो कहीं से ब्लॉगिंग.

उन्होंने अब तक दक्षिण भारत के 6 राज्यों समेत महाराष्ट्र, मेघालय, असम, नागालैंड और पश्चिम बंगाल की यात्रा कर ली है. इस यात्रा में विमल को कुछ अच्छे दोस्त भी मिले.

जर्मनी के एक आदमी ने विमल को एक iPhone गिफ़्ट किया. दरअसल हुआ क्या था कि विमल का फ़ोन डेड हो गया था. जर्मन दोस्त ने जब इनकी कहानी सुनी तो फ़ोन देने का मन बना लिया. विमल कुछ ज़्यादा लेकर घर से नहीं निकले थे लेकिन जब लौटे तो उनके साथ दो-दो बैग थे. ऐसा नहीं था कि विमल की राह आसन थी. उन्हें सफ़र में मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा.

विशाखापत्तनम में एक छोटे से गांव लाम्बासिंगी में उनके साथ एक यादगार वाक़या हुआ. विमल को दोपहर में भूख लग गई. पैसे तो थे नहीं  ख़रीदकर क्या खाते? 

विमल ने  ख़ुद से वादा भी किया था कि किसी से कुछ भी मांग कर नहीं खाएंगे. विमल एक बंद दुकान के पास बैठे थे तभी वहां बाइक पर दो लोग आए और उनसे पूछताछ करने लगे. उन्होंने बताया कि लाम्बासिंगी जा रहे हैं. दोनों में से एक ने खाने के लिए पूछा, तो विमल ने कहा कुछ नहीं खाया है. फिर बाइक वालों ने उन्हें दो पैकेट ब्रेड दिए. जब पेट में चूहे कूद रहे हों तो ब्रेड भी काफ़ी है.

विमल घूमते-घूमते सोनागाची भी पहुंचे. सोनागाची एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है. यहां सेक्स वर्कर्स की दशा देखकर विमल का मन पसीज गया. अब विमल इनके लिए कुछ करना चाहते हैं. घुमक्कड़ी इंसान को समाज के प्रति ज़िम्मेदार बनाती है.

हिंदी के सबसे बड़े घुमक्कड़ साहित्यकार राहुल संकृत्यायन ने कहा है कि इंसान पैदा भी एक ही बार होता है और जवान भी एक ही बार होता है. इसलिए हिन्दुस्तान के जवानों! घूमने के लिए कमर कस लो, सारी दुनिया तुम्हारे स्वागत के लिए बेक़रार है.

Article Source: Thebetterindia