आप अख़बार पढ़ते हैं?

ज़्यादातर लोगों का जवाब होगा ‘नहीं’, App रखा है, ख़बरें पता चल जाती हैं सिर्फ़ एक क्लिक पर.

और आपके घर के छोटे सदस्यों को कैसे पता चलती हैं, देश और दुनिया की ख़बरें? इसका जवाब कम ही लोग दे पाएंगे.

गांव, कस्बों में आज भी लोग सुबह चाय और ख़बरों की चुस्कियां एकसाथ लेते हैं. नकारात्मक ख़बरों की वजह से कई लोगों ने अख़बार पढ़ना छोड़ दिया है.

हमारी ही तरह, बच्चों के लिए देश और दुनिया की ख़बरों के बारे में जानकारी रखना काफ़ी ज़रूरी है. ज़िन्दगी के बारे में उनके नज़रिए को सही सांचे में ढालने के लिए भी देश और दुनिया की ख़बर रखना अनिवार्य है. बच्चों के दिमाग़ में कई प्रश्न आते हैं और दुनिया की समस्याओं से उनका सरोकार रखना, वर्तमान और भविष्य की मांग है.

कई छात्र इंटरव्यू में रोज़मर्रा के घटनाओं की जानकारी न होने की वजह से सेलेक्ट नहीं हो पाते. सिर्फ़ प्रतियोगिता परिक्षाओं के लिए ही करेंट अफ़ेयर्स के बारे में पता रहना चाहिए, ये ज़रूरी नहीं.

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एक Consulting Firm की डायरेक्टर, निधि अरोड़ा के अनुसार,

Academically अच्छा प्रदर्शन करने के साथ ही किसी भी छात्र का दुनिया के प्रति नज़रिया भी मायने रखता है.

ये एक बात ही किसी छात्र को दूसरे छात्रों से अलग बनाती है. क्योंकि बच्चे ही कल का भविष्य हैं, तो उनके लिए भी ये जानना बेहद ज़रूरी है कि उनके आस-पास क्या चल रहा है और इसका सबसे अच्छा स्त्रोत है समाचार पत्र.

भारत में बच्चों के समाचार पत्रों की कमी

निधि ने India Today से बातचीत में कहा,

मैं अपने 8 साल के बेटे के लिए अख़बार ढूंढ रही थी. सालभर तक ढूंढने के बावजूद मुझे कुछ नहीं मिला. अख़बार पढ़ने की आदत बचपन से ही विकसित करना ज़रूरी है इसीलिए जून 2017 में मैंने अपने घर पर ही 4 पन्नों का सैंपल अख़बार तैयार किया.

इस तरह बना ‘The Children’s Post’, गुरुग्राम की कुछ Moms द्वारा.

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इस तरह मशहूर हुआ The Children’s Post

जिसने भी इस अख़बार के बारे में सुना, एकबार में ही पसंद कर लिया.

4 पन्ने का ये E-paper आज कई घरों, Educational Institutes तक पहुंचता है. बच्चों के लिए इसे प्रिंट किया जा सकता है.

निधि ने बताया,

गाज़ियाबाद के यशोदा हॉस्पिटल में ये अख़बार Pediatric Ward और बच्चों की OPD में बांटा जाता है. हम इसे बिना किसी मूल्य के बच्चों के लिए काम करने वाले NGOs के साथ भी साझा करते हैं.

ये अख़बार 8 से 13 उम्र के बच्चों के लिए है लेकिन मुझे पता है कि इससे ज़्यादा उम्र के बच्चे भी इस अख़बार को पढ़ते हैं.

हर टॉपिक को किया जाता है कवर

इस अख़बार में हर विषय (अन्तर्राष्ट्रीय, अर्थशास्त्र, इंटरनेट सिक्योरिटी, वातावरण, इतिहास, तकनीक, भारतीय प्रजातंत्र) पर लिखा जाता है. क्विज़, कविताएं, लघु कथाओं से ये लैस है ये अख़बार.

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कैसे बनता है ये अख़बार?

इस अख़बार का हर एडिशन Parents द्वारा तैयार किया जाता है. Parent एडिटर्स हफ़्ते के 5-6 घंटे अख़बार का कॉन्टेंट फ़िल्टर करने में लगाते हैं.

इसके बाद इस अख़बार के कॉन्टेंट को दोबारा एडिट किया जाता है.

कैसे ख़रीदें ‘The Children’s Post’?

अगर आप अपने बच्चों के लिए इस अख़बार को ख़रीदना चाहते हैं, तो इस लिंक पर जाएं:

http://epaper.thechildrenspost.com/

अपने बच्चों को मोबाईल एप्स की नहीं, पढ़ने की आदत डलवाएं, तकनीक कितनी भी सहायक क्यों न हो, पढ़ाई ही काम आती है.