बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो
1. वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर हर साल 12 जून को मनाया जाता है और इस बार इसकी थीम ‘Children shouldn’t work in fields, but on dreams” यानी बच्चे फील्ड पर नहीं, बल्कि अपने सपनों पर काम करें’ है.

2. International Labour Organisation के मुताबिक़, पूरी दुनिया में आज भी 152 मिलियन यानि करीब 15.2 करोड़ बच्चे मज़दूरी करते हैं.

3. कई तरह के प्रयासों के बाद भी बाल मज़दूर लगभग हर क्षेत्र में हैं और 10 में से हर 7 बच्चे खेतों में काम करते हैं और इनका जीवन बहुत ही कठिन है.

4. अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर 21.8 करोड़ बच्चों (जिनकी उम्र 5 से 17 साल है) की आबादी किसी न किसी तरह के रोज़गार में मौजूद है.

5. इनमें से 15.2 करोड़ बच्चे बाल मज़दूर हैं और इसमें से भी 7.3 करोड़ बच्चे बेहद ही ख़तरनाक किस्म की मज़दूरी कर रहे हैं.

6. पूरी दुनिया में बाल मज़दूरी में सबसे दयनीय स्थिति अफ़्रीका (जहां 7.21 करोड़ बच्चे यानि हर 5 में से 1 बच्चा) और एशिया (जहां 6.21 करोड़ बच्चे यानि हर 14 में से 1 बच्चा) बाल मज़दूर के तौर पर काम कर रहे हैं और अपना पेट पाल रहे हैं.

7. इतना ही नहीं अमेरिका में भी 1 करोड़ से ज़्यादा बच्चे (यानि हर 19 में से 1 बच्चा) बाल मज़दूरी के दलदल में फंसे हुए हैं.

8. वहीं खाड़ी देशों में भी कोई अच्छी स्थिति नहीं है, वहां भी 10.20 लाख से ज़्यादा बच्चे (यानि हर 35 में से 1 बच्चा) बाल मज़दूरी करते हुए ज़िन्दगी बिता रहे हैं.

9. ILO की जून 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, 2011 की जनगणना के आधार पर भारत में 5-14 साल की आयु वाले बच्चों की आबादी 25 करोड़ 96 लाख (259.6 मिलियन) है. जिनमें से 1 करोड़ से ज़्यादा बच्चे किसी न किसी तरह से काम करने को मजबूर हैं.

10. आपको बता दें, पूरी दुनिया में 4.5 करोड़ लड़के और 2.8 करोड़ लड़कियां ख़तरनाक कामों जैसे कारखानों, कैमिकल फैक्ट्रीज़ में लगे हुए हैं.

11. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 5 से 11 साल के बच्चों को ख़तरनाक कामों में लगाने की दर में 1.9 करोड़ का इज़ाफ़ा हुआ है, जिस कारण बाल मज़दूरों की मौत की दर में भी बढ़ोतरी हुई है.

12. फ़ैक्टरी और मशीन कारखानों में काम करने वाले बच्चों के साथ होने वाले हादसों में औसतन 14 साल से कम उम्र के बच्चों में 7 बच्चों और 14 से 18 साल के बच्चों में 10 बच्चों की मौत हुई है.

13. वहीं खदानों और दूसरे किस्म के डेंजरस कामों के दौरान हुए हादसों में 14 साल की उम्र के 9 बच्चों और 14 से 18 साल की उम्र के 11 बच्चों की मौत हुई. और इन मौतों का अहम कारण बाल मजदूरी ही रही है.

14. भारत में भी बाल मज़दूरी की समस्या विकाराल है. अगर देश की कुल आबादी के हिसाब से देखें, तो शहरों में पिछले 10 सालों में बाल श्रमिकों की संख्या 10.30 लाख से बढ़कर 20 लाख तक पहुंच चुकी है. पर एक सकारात्मक बात ये है कि यहां ग्रामीण और शहरी बाल श्रमिकों की कुल संख्या 1.27 करोड़ से घटकर 1.10 करोड़ तक आ गई.

15. वहीं भारत में सबसे ज़्यादा बाल श्रमिक (लगभग 33 लाख) बच्चे खेती से जुड़े कामों में लगे हुए हैं और करीब 26.30 लाख बच्चे खेतीहर मज़दूर हैं

16. हमारे देश में बाल मज़दूरी का एक रूप घर में काम करने वाले बच्चे भी हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हम भारतीय लोग बच्चों की कुल आबादी के 5.2 फ़ीसदी यानी 5 लाख बच्चों से अपने घर या दुकान में काम करवाते हैं.

17. अब बात करते हैं भारत के बड़े-बड़े राज्यों की. देश के कुल बाल मज़दूरों का तक़रीबन 55 फ़ीसदी हिस्सा 5 बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मज़दूरी कर रहा है.

18. 2016 के ILO के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में 5-17 साल के बीच 152 मिलियन कामकाजी बच्चे हैं, जिनमें से 23.8 मिलियन बच्चे भारत में हैं. वहीं भारत में बाल श्रम का 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित है.

19. 2011 की जनगणना के मुताबिक़, भारत में हर चौथा बच्चा (यानी बच्चों की कुल आबादी में से 4.27 करोड़ बच्चे) स्कूल नहीं जाते हैं क्योंकि उनको अपने परिवार का पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है.

20. बाल श्रम के ख़िलाफ़ काम कर रहे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के संगठन बचपन बचाओ आंदोलन(BBA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में क़रीब 7-8 करोड़ बच्चे बेसिक पढ़ाई से वंचित हैं. इनमें ज़्यादातर बच्चे organised crime rackets का शिकार हैं और बाल मज़दूरी को मजबूर हैं.
Whose children are they who toil in mines, factories &fields at the cost of their freedom & education? They are all our children. Please don’t accept hospitality where children are working.Why 152 million child laborers when 210 million adults jobless? #WorldDayAgainstChildLabour
— Kailash Satyarthi (@k_satyarthi) June 12, 2019
इतना ही नहीं ज़्यादातर बाल मज़दूरी के लिए बच्चों के अभिभावक ही ज़िम्मेदार होते हैं, जो अपने काम में मदद के लिए उन्हें स्कूल नहीं भेजते हैं. इसके अलावा प्रतिवर्ष हज़ारों बच्चों को तस्करी के ज़रिये कहीं दूसरे देश, राज्य में भेज दिया जाता है. इसको ही चाइल्ड ट्रैफिकिंग कहा जाता है, जो इन मासूम बच्चों को बाल मजदूरी और बाल वेश्यावृत्ति के दलदल में झोंक देती है.