मेरी सबसे बड़ी प्रतिभा है कि मैं जो काम नहीं करना चाहती, उनके लिए मेरे पास हमेशा ढेर सारे बहाने तैयार रहते हैं.  

आज का जिम छूट गया? कोई नहीं कल ज्यादा देर तक एक्सरसाइज़ कर लूंगी.  

अलार्म बंद करना? ख़ैर, मुझे आराम की ज़रूरत थी. 

अपनी to-do लिस्ट से एक काम को छोड़ देना? वो इतना भी ज़रूरी नहीं था. 

चीज़ों को लेकर हमारा टाल-मटोल करना, रोज़ की ख़ुद से एक जंग जैसी होती है. मगर जब आप इस से बाहर निकलेंगे तो देखेंगे कि कैसे आपके साथ बेहतर चीज़ें होने लगेंगी.   

आज से छः साल पहले मैंने व्यवसायी बनने के अपने सपने को पूरा करने की कोशिश की. मैंने फ्रीलांस राइटिंग की, वेबसाइट बनाई और काफ़ी प्रोजेक्ट्स में काम किया. मगर इन सब के बावज़ूद मुझे वो नतीजा नहीं मिल रहा था जो मुझे चाहिए था. क्यों? क्योंकि मैं वो काम नहीं कर रही थी, जिसमे मुझे असहज होना पड़े- कठिन, थकाऊ और असंतोषजनक कार्य, जो वास्तव में मेरे व्यवसाय को बढ़ने में मदद करता. मैं चैलेंज नहीं ले रही थी. मैं हमेशा उन कामों से बचने के बहाने ढूंढती थी, फ़ोन पर लगे रहना या बार-बार कॉफ़ी ब्रेक पर जाना.   

अगर आपने भी अपने जीवन में ऐसा कुछ महसूस किया है और आपको अक्सर लगता है कि आप काम करने के लिए पर्याप्त ‘मोटिवेटेड’ नहीं हैं, तो ये आपके लिए सबसे ज़रूरी बात है. अपने काम को सही ढंग से करने के लिए आपको मोटिवेशन नहीं एक ठीक सिस्टम की ज़रूरत है. आप सिस्टम फॉलो करेंगे तो ज़्यादातर काम अपने आप ठीक ढंग से होते चले जाएंगे. और स्वाभाविक है कि जब काम बेहतर और व्यवस्थित होगा तो नतीजे अपने आप अच्छे होंगे.   

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1. अपनी बौद्धिक ताकत को अधिक इस्तेमाल करना 

मैं अपने दिमाग में आने वाली कई बातों को इग्नोर कर देती थी. मैं अपनी सूझ-बूझ पर कभी ध्यान नहीं देती थी और अपना समय ज़्यादा सोचने पर लगा देती थी. तो मैंने किताबें पढ़ना शुरू किया, जिसने मुझे बेहतर सोचने और अपनी मानसिक ताकत को सही तरीके से इस्तेमाल करने में मदद की .   

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2. मैं हर दिन एक्सरसाइज़ करती हूं. 

जब मैं एक्सरसाइज़ नहीं करती हूं तो मुझे फ़ोकस करने, आत्मविश्वास बनाए रखने में परेशानी होती है. मुझे ताकत की कमी महसूस होने लगती है. तो अब मैं रोज़ एक्सरसाइज़ करती हूं. 

3. मैंने दैनिक आदतों की एक सूची बना ली है. 

मैं रोज़ लिखती, पढ़ती हूं. बेकार की जानकारियों और बातों से दूर रहती हूं. मैं इस बात का भी ध्यान रखती हूं कि दोस्तों और परिवारों से भी रोज़ बात करूं. अपने आसपास के लोगों से संपर्क बनाए रखना बेहद ज़रूरी है. ये सारी चीज़ें मुझे हक़ीक़त से जोड़े रखती हैं और मैं अपने दिन भी एन्जॉय कर पाती हूं.     

4. मैंने छोटे, लेकिन महत्वपूर्ण कार्यों की एक सूची बनाई है, जिन्हें मैं पूरा करती हूं. 

मैं हमेशा सोचती हूं कि एक किताब लिखने के लिए लेखन के अलावा और क्या-क्या करना चाहिए. मैं अपनी क़िताब में नए पन्नों और शब्दों को जोड़ने के लिए वो सब करती हूं जो कर सकती हूं. इसके लिए मैं ख़ुद को रोज़ छोटे-छोटे राइटिंग असाइनमेंट्स देती हूं.   

जैसा कि आपने देखा होगा कि ये सारी चीज़ें मेरे काम से जुड़ी हुई नहीं है. जो कि ठीक भी हैं. मेरा ये सिस्टम मेरे दिमाग को सही जगह पर रखता है. ये मुझे और अनुशासन में रखता है. 

आप हमेशा टाल-मटोल करना चाहोगे, मगर आप के पास सिस्टम होगा तो आपके फ़ायदेमंद होगा. इसलिए सबसे अच्छा है कि अपने लिए ख़ुद एक सिस्टम बनाएं और उसका पालन करना आज से ही शुरू कर दें.