एक गुप्तचर कहीं दूर बैठे हुए भी हज़ारों सिपाहियों की जान बचा सकता है. एक जासूस ये सुनिश्चित करता है कि सीमा पर सिपाहियों को अपनी ज़िन्दगी गंवानी न पड़े.
दुश्मन के घर में रहकर, स्वदेश के लिए अपशब्दों को बर्दाशत करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, इसीलिए हर कोई गुप्तचर नहीं होता.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/07/5b42f8b2f89ec15e19b0aded_648067190.jpg)
क्या है R&AW?
भारत की Foreign Intelligence Agency है R&AW. 1962 में चीन से मिली हार के बाद विदेशी आक्रमणों से देश की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने इसकी स्थापना की थी. इससे पहले देश को भीतरी और बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा निश्चित करने की ज़िम्मेदारी Intelligence Bureau के हाथ में ही थी.
आर. एन. काव इसके पहले डायरेक्टर थे. R&AW (रॉ) आवश्यकता अनुसार अपने एजेंट्स को अलग-अलग मिशन पर भेजती है.
R&AW एक अत्यंत गोपनीय संस्था है, शायद इसीलिए हमारे पास ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. पर कुछ जाबांज़ों की वीरता की कहानियां आज भी सुनाई जाती है, वही पेश कर रहे हैं-
रविंदर कौशिक
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/07/5b42f8b2f89ec15e19b0aded_875443ce-ced1-4614-a4b5-510f5e2c6253.jpg)
सिर्फ़ 23 साल की उम्र में R&AW के लिए अंडरकवर बनने वाले जाबांज़ हैं रविंदर. पाकिस्तान जाने से पहले रविंदर के भारतीय होने के सारे सुबूत मिटा दिया गए थे. उन्होंने उर्दू और क़ुरान की तालीम हासिल की. रविंदर ने कराची यूनिवर्सिटी से वक़ालत की पढ़ाई की और पाकिस्तान सेना के सदस्य बन गए. रविंदर को मेजर रैंक तक प्रमोट भी किया गया. 1979 से 1983 के बीच रविंदर ने बहुत सारी महत्त्पूर्ण जानकारी भारतीय सेना तक पहुंचाई. इंदिरा गांधी ने उन्हें ‘The Black Tiger’ नाम दिया था और वो सेना के अलग-अलग क्षेत्रों में इसी नाम से जाने जाते हैं.
रविंदर से संपर्क करने गए अन्य R&AW एजेंट इनयात मसीहा ने पूछ-ताछ के दौरान रविंदर के बारे में जानकारी दी. पाकिस्तानी पुलिस ने उन्हें सालों तक टॉर्चर किया और 2001 में टीबी से उनकी मृत्यु हो गई.
अजित डोभाल
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/07/5b42f8b2f89ec15e19b0aded_fabba6d4-c634-4af5-96cf-020ff9c3efae.jpg)
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजित डोभाल 7 साल तक पाकिस्तान के लाहौर में एक आम मुस्लिम की तरह रह चुके हैं. उन्हें ‘भारत का जेम्स बॉन्ड’ कहा जाता है. वो Intelligence Bureau के डायरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं. Operation Blue Star के दौरान वो स्वर्ण मंदिर के अंदर थे और आतंकवादियों के साथ मिलकर उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई थी. अपने जासूसी जीवन के बारे में वो अक़सर बातें भी करते हैं-
एक मशहूर अफ़वाह ये भी है कि डोभाल ने दाउद इब्राहिम को मारने की प्लैनिंग कर ली थी लेकिन भारतीय पुलिस ने पूरी योजना पर पानी फेर दिया था.
आर. एन. काव
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/07/5b42f8b2f89ec15e19b0aded_24e2c3d0-f62c-4c2e-9476-7a32207df19d.jpg)
रमेश्वर नाथ काव, R&AW के पहले संस्थापक थे. एनएसजी की संस्थापना का श्रेय भी इन्हीं को जाता है. उन्हों भारत की विदेशी इंटेलिजेंस एजेंसी को सूरत कुछ इस तरह बदली, कि स्थापना के 3 सालों के अंदर ही भारत की सुरक्षा सुदृढ़ होने लगी. काव अपने काम को लेकर इतने गंभीर थे कि भारत के इस गुप्तचर ने ज़िन्दगी में कुछ ही तस्वीरें खिंचावईं.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/07/5b42f8b2f89ec15e19b0aded_400793448.jpg)
1971 के युद्ध के दौरान ‘मुक्ति वाहिनी’ के 1 लाख से अधिक जवानों को काव की देख-रेख में ही प्रशिक्षण दिया गया था. सिक्किम के भारत में विलय में भी काव का ही हाथ था.
अपनी पहचान भूलकर या छिपाकर देश की सुरक्षा सुनिश्चत करना हर किसी के बस की बात नहीं है. अगर आपको R&AW के और जांबाज़ों के बारे में जानकारी है, तो ज़रूर साझा करें.