दुनियाभर में जिस तरह से ‘मदर्स डे’, ‘टीचर्स डे’ या ‘डॉक्‍टर्स डे’ मनाया जाता है. ठीक उसी तरह भारत में इंजीनियर्स को सम्मान देने के लिए ‘इंजीनियर्स डे’ मनाया जाता है. भारत में हर साल एम. विश्वेश्वरैया जी के जन्म दिवस के मौक़े पर ‘इंजीनियर्स डे’ मनाया जाता है. भारत रत्न से सम्मानित डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या देश के महान सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे.

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हर इंसान के अंदर एक इंजीनियर होता है. कुछ मकान बनाते हैं, तो कुछ सॉफ़्टवेयर बनाते हैं, कुछ मशीन बनाते हैं और कुछ सपने बुनकर उसे पूरा करते हैं. विज्ञान और इंजीनियरिंग के बीच एक अजीबो-ग़रीब रिश्ता है. एक जानने के लिए, तो दूजा बनाने के लिए होता है.

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इस ख़ास मौके पर आज हम आपको देश के इंजीनियर्स की कुछ ऐसी उपलब्धियां दिखाने जा रहे हैं जिनकी वजह से दुनियाभर में भारतीय इंजीनियर्स को सम्मान की नज़रों से देखा जाता है.

1. बांद्रा-वर्ली सी लिंक (मुंबई) 

राजीव गांधी ‘बांद्रा-वर्ली सी लिंक’ 8 लेन का ब्रिज है, जो पश्चिमी मुंबई के बांद्रा को दक्षिण मुंबई के वर्ली से जोड़ता है. ये ब्रिज केबल के सहारे टिका हुआ है, जिसके दोनों ओर कंक्रीट-स्टील के ब्रिज भी बनाए हैं. ये ब्रिज 7.0 तक रिक्टर स्केल वाले भूकंप झेलने में सक्षम है. इस ब्रिज आम लोगों के लिए 1 जुलाई, 2009 को खोल दिया गया था.

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2. पीर पंजाल रेलवे टनल (जम्मू कश्मीर) 

जम्मू कश्मीर के ‘पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला’ को काटकर 11 किलोमीटर लंबी ‘पीर पंजाल रेलवे टनल‘ बनाई गई है. बनिहाल-क़ाजीगुंड रेलवे लाइन भारत में इस तरह का सबसे लंबा परिवहन मार्ग है और एशिया में दूसरा सबसे लंबा टनल है. ये भारत की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है जहां पर्वत श्रृंखला को काटने के लिए ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग’ विधि का इस्तेमाल किया गया है.

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3. सिग्नेचर ब्रिज (दिल्ली) 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 नवंबर, 2018 को वज़ीराबाद को आंतरिक शहर से जोड़ने वाले ‘सिग्नेचर’ ब्रिज का उद्घाटन किया था. इस ब्रिज की ऊंचाई क़ुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुनी है. Asymmetrical केबल पर टिका ये भारत का इस तरह का पहला ब्रिज है. सिग्नेचर ब्रिज ‘नमस्ते’ के आकार को इंगित करता है.

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4. चिनाब ब्रिज (जम्मू-कश्मीर) 

जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में ‘चिनाब नदी’ पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बन रहा है. इस ब्रिज की लंबाई 1,315 मीटर, जबकि ऊंचाई 359 मीटर है. इस पुल की ऊंचाई एफिल टावर से अधिक है और ये पुल क़ुतुब मीनार से 5 गुना अधिक ऊंचा होगा. ये पुल 15 अगस्त 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा.

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5. पाम्बन ब्रिज (तमिलनाडु) 

तमिलनाडु में स्थित 100 साल पुराना ‘पाम्बन ब्रिज’ भारत का दूसरा सबसे लंबा समुद्री पुल है. ये रेलवे ब्रिज पाम्बन द्वीप को मुख्यभूमि से जोड़ता है. पाम्बन ब्रिज की लंबाई 2.065 किलोमीटर है. ये ब्रिज अगस्त 191 से बनना शुरु हुआ और इसका उदघाटन 24 फ़रवरी 1914 में हुआ था. उस दौर में ये भारत का एकमात्र समुद्री ब्रिज था.

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6. अंडरवाटर टनल (कोलकाता) 

भारत जल्द ही कोलकाता में अपना पहला ‘अंडरवाटर मेट्रो’ लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ये मेट्रो टनल ‘हुगली नदी’ के कई फ़ीट नीचे से होकर गुजरेगी. ये सुरंग निर्माणाधीन है और परियोजना का उद्देश्य पश्चिम में हावड़ा और पूर्व में साल्ट लेक को जोड़ना है.

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7. पनवैल नाड़ी ब्रिज (महाराष्ट्र) 

महाराष्ट्र के रत्नागिरि में ‘पनवैल नदी’ पर बना ये 424 मीटर लंबा एशिया का तीसरा सबसे ऊंचा ब्रिज है. कोंकण रेलवे में सफ़र के दौरान आपको ये इंजीनियरिंग चमत्कार देखने को मिलता है. ‘स्लिप टेक्नोलॉजी‘ द्वारा निर्मित ये भारत का पहला ब्रिज है.

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8- स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी (गुजरात) 

वड़ोदरा के पास साधु बेट नामक नदी द्वीप पर निर्मित ‘स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. इसकी ऊंचाई 182 मीटर है. ये प्रतिमा भारत के ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में बनाई गई थी. 31 अक्टूबर, 2018 को उनकी जयंती के मौके पर इसका उद्घाटन किया गया था. 

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9- मातृमंदिर (तमिलनाडु) 

तमिलनाडु के ओरोविल में स्थित ‘मातृमंदिर’ आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है. इसकी स्थापना 1968 में मीरा रिचर्ड ने की थी. मातृमंदिर किसी विशेष धर्म या वर्ग से संबंधित नहीं है. भले ही मातृमंदिर की रूपरेखा वास्तुकार रोजर ऐंगर ने तैयार की थी, लेकिन इसे भारतीय इंजीनियरों ने बनाया.

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10- चांद बावड़ी (राजस्थान) 

राजस्थान के आभानेरी गांव में 9वीं शताब्दी में निर्मित इस बावड़ी का निर्माण राजा मिहिर भोज (चांद) ने करवाया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम ‘चांद बावड़ी’ पडा. दुनिया की सबसे गहरी ये बावड़ी चारों ओर से लगभग 35 मीटर चौड़ी है. इसमें ऊपर से नीचे तक पक्की सीढियां बनी हुई हैं. 13 मंज़िला ये बावड़ी 100 फ़ीट से भी ज़्यादा गहरी है, जिसमें क़रीब 3500 सीढियां हैं. 

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11- गोल गुंबज़ 

गोल गुंबज़ या गोल गुंबद का शाब्दिक अर्थ है ‘परिपत्र गुंबद‘. ये सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह का मक़बरा था, जिसने किसी जमाने में बीजापुर शहर पर शासन किया था. गोल गुंबद के केंद्रीय गुंबद का व्यास 44 मीटर है, जो वेटिकन सिटी स्थित सेंट पीटर बेसिलिका के गुंबद के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुंबद है. गोल गुंबद की विशेषता ये है कि ये बिना पिलर के खड़ा है. 

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हैप्पी इंजीनियर्स डे…